Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्त-रेखा ज्ञान
जब हृदय रेखा बहुत पतली और कोई शाखा न रखती हो तो दिल की इच्छा (Want of Heart) तथा उदासीनता बतलाती है।
जब दिल की कोई भी रेखा न हो तो मनुष्य बहुत ही ठण्डे खून तथा उदासीन प्रकृति का होता है। ऐसा मनुष्य बुरी तरह से इन्द्रिय प्रिय हो सकता है और विशेषकर तब जबकि मंगल का उभार ऊँचा हो।
टूटी हुई हृदय-रेखा कभी किसी समय भी प्रेम में कोई दुःखान्त घटना का होना अवश्यम्भावी बतलाती है।
यह आजकल नहीं पाई जाती लेकिन ऐसे मनुष्य अपने प्रिय का नुकसान कभी पूरा नहीं कर सकते तथा फिर कभी जीवन में प्यार भी नहीं कर पाते।
शादी सम्बन्धी चिह्न शादी की रेखायें चौथी अंगुली के नीचे उभार पर होती है (1 चित्र 17) मैं पहले इन रेखाओं के विषय में विस्तार से बताऊँगा और तब बाद में और निशान जो कि शादी की रेखाओं को प्रभावित करते है और तब उसके बाद सूचनाओं का खजाना जो उनसे सम्बन्धित हैं, बताऊँगा।
ये शादी की रेखायें या रेखा बहुत छोटी या (कुछ लम्बी भी जो कि बुद्ध के उभार की ओर जाती है या इससे भी लम्बी हाथ के अन्दर जाती है। केवल स्पष्ट रेखायें ही शादी से सम्बन्ध रखती है छोटी वाली गहरे प्रेम से या शादी के लिए इच्छा बतलाती है किन्तु कभी होती नहीं (2 चित्र 17)।
जबकि रेखा गहरी हो और दिल की रेखा के पास हो तो शादी अल्पावस्था में हो जाती हैं लेकिन दूसरे निशान जो बाद में बताऊँगा शादी की निश्चित तारीख भी बता देगें।
एक खुशी की शादी के लिए बुद्ध उभार की रेखायें सीधी तथा साफ होनी चाहिये, बिना किसी गड़बड़ी तथा टूटने के (1 चित्र 171
जब शादी की रेखा नीचे की ओर को झुकी हो (3 चित्र 17) तो जिसके हाथ में यह रेखा होती है वह अपने जीवन-साथी के बाद तक जीवित रहती हैं।
जब रेखा उल्टी दशा में झुकी हो तो वह मनुष्य कभी शादी नहीं करता। (4 चित्र 17)