Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| भद्रबाहु संहिता |
27—यदि बड़े अंगूठे के साथ अंगुलियाँ एक-दूसरी से अलग-अलग हो तो जातक स्वावलम्बी, स्वतन्त्र विचार का निस्प्रह परन्तु अत्याचारी होता है।
28-छोटे तथा चौड़े अंगूठे वाला जातक जिद्दि होता है, परन्तु समझा दिए जाने पर जिद छोड़ भी देता है।
29—अंगूठा बड़ा हो तथा हथेली मुलायम हो तो जातक अपने किसी मित्र के विश्वास पर आश्रित रहता है।
___30-अंगूठे का पहला पर्व पुष्ट, मजबूत, मोटा तथा उठावदार हो तथा दूसरा पर्व निर्बल एवं छोटा हो तो जातक आत्मनिग्रंही एवं मनोनुकूल आचरण करने वाला होता है।
31-अंगूठे का पहला पर्व अधिक लम्बा न होकर अधिक मोटा हो तो जातक दृढ़ निश्चयी होता है।
____32_अंगूठे का पहला पर्व अधिक चौड़ा, फैलावदार तथा भारी हो तो जातक क्रोधी, हठी, विश्वासघाती, निर्दिया, हिंसक प्रकृति का होता है, परन्तु यदि हृदय रेखा एवं मस्तक रेखा की स्थिति अच्छी हो तो यह दोष नहीं होते।
विभिन्न प्रकार के अंगूठे
चित्र 16 33—यदि तर्जनी और अंगूठे के बीच का स्थान अधिक हो तो जातक उदार-प्रकृति का होता है।
34—यदि अंगूठा लचकदार तथा पीछे की ओर अत्यधिक मुड़ जाने वाला