Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्त-रेखा ज्ञान
स्वप्न, किस प्रकार से चीजें करनी चाहिये इसका अनुभव और अक्सर शानदार व्याख्यान देना या जोशदार लेख लिखने की शक्ति बतलाती है।
यह मनुष्यों की अपेक्षा स्त्रियों के हाथ पर अधिक पाई जाती है। किन्तु अक्सर पुरुषों के हाथों पर भी स्पष्ट देखी जा सकती है। हर दशा में ही इसको रखने वाला मनुष्य बहुत ही अजीब शक्तियाँ तथा खासियतें तथा साथ ही सांसारिक वस्तुओं का लाभ जिनके विषय में वे साधारण अवस्था में कुछ भी नहीं जानते, रखते है।
ऐसे बहुत से मनुष्य बिल्कुल अशिक्षित होते है। लेकिन जोश के अवसर पर वे जटिल समस्याओं को बिल्कुल ठीक-ठीक बतलाते है। यदि उनसे पूछा जाय कि यह उन्होंने कैसे बतलाया तो वे यही उत्तर देते है। कि किसी आवेश में यह उनकों आ गया था। (It come them) मैंने ऐसे मनुष्यों जो कि इस प्रकार की शक्ति रखते है, देखे है कि जब वे किसी प्रकार की नशीली चीजों में लिप्त होते है। तो अपनी अद्भुत शक्तियाँ बिल्कुल भूल जाते हैं।
निर्धन रेखा (The Viadusciva) यह भी एक अजीब निशानी अर्द्धवृत्त के समान है (६ चित्र २०) लेकिन इस दशा में यह चन्द्र के उभार को मंगल के उभार से मिलाता है। या यह हाथ के हिस्से (Luna) के उभार से कलाई की ओर निकल जाता है।
पहले प्रकार की शक्ल 'बिना लगाम' की इच्छाएँ तथा भावनाएँ बतलाती है। किन्तु जहाँ यह जीवन-रेखा से कट जाती है तब मृत्यु हो जाती है लेकिन वह मृत्यु जबकि इसकी लापरवाही से होती है।
दूसरे प्रकार की शक्ल अर्थात् चन्द्र के उभार से कलाई की ओर को जाती हो तो वह बहुत भावुक स्वप्न, इच्छाएँ, कल्पनाएँ बतलाती हैं। किन्तु यह अक्सर उस मनुष्य के लिए खतरनाक होती है।
दोनों ही दशाओं में यदि मनुष्य का हाथ गुदगुदा तथा मुलायम हो तो मनुष्य मादक द्रव्य सेवन करता है। लेकिन यदि हथेली कड़ी हो तो मनुष्य को बहुत ज्यादा नशा करने के दौर आते है। तथा वह नशे में अपने ऊपर किसी प्रकार