Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
का भी काबू नहीं रख सकता। यदि मस्तक रेखा कमजोर हो द्वीपों से भारी तथा चन्द्रमा की उभार की ओर झुकी हो तो पागलपन या बुरे प्रकार की रद्दोबदल उसके सारे चरित्र तथा जीवन को नष्ट कर देते है।
चित्र सैरट २०
गर जी
गर जी
Dua goisc mystique the Ring of Solomon.
गुप्त रेखा (Dagolx Mystique) यह (Dagoix Mystique) मस्तक तथा हृदय-रेखा के बीच की चार रेखाओं के त्रिभुज में पाया जाती है (७ चित्र २०) यह अधिकतर हाथ के बीच ही में पायी जाती है। किन्तु यह चतुष्कोण की ओर भी पायी जाती है।
यह निशान सब प्रकार की योग विद्या तथा अदृश्य विद्या को बतलाया है। जब यह वृहस्पति के अधिक नजदीक हो तो वह मनुष्य इन विद्याओं की सन्तुष्टि के लिए अधिक प्रयोग में लाता है।
जब यह चतुष्कोण के बीचों बीच भाग्य-रेखा के परे या बिल्कुल शनि के उभार के नीचे हो तो ये विद्यायें धार्मिक अधिक हो जाती है। या अपनी कीमत के लिए पढ़ी जाती है। तथा अदृश्य विद्या का प्रभाव तथा सत्य सारे जीवन पथ पर पड़ता है। यह सम्भव हो सकता है, कि इस चिह्न को रखने वाला मनुष्य उसे पेशे के समान करे या अपनी खोज जो एक पुस्तक के रूप में बाँध ले।