Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्त रेखा ज्ञान
जब यह चिह्न चतुष्कोण में अधिक नीचे को चन्द्र के उभार की ओर होता है, तो वह मनुष्य अदृश्य विद्या को अन्धविश्वास के कारण अधिक मानता है (follow) और वह ऐसा करने में सफल भी हो जाता है। तथा दूसरे मनुष्यों को अपनी विद्या से प्रभावित करता है। और इस बाद की अक्ल को रखने वाला मनुष्य सुन्दर, धार्मिक गुप्त कवितायें तथा सारे में हढ़ भावी वक्ता की टिप्पणी रखता है।
वृहस्पति की मुद्रिका या गण्ण रेखा (The Ring of Solomon )
यह ( Ring of Solomon ) भी अदृश्य विद्या तथा योग विद्या की विशेषताएँ ही बतलाता है। लेकिन इसके बाद के स्थान में ये विद्यायें वृहस्पति की विशेषताओं से सम्बन्धित रहती हैं। इसको रखने वाला मनुष्य ऐसे विषयों में गुरु तथा प्रवीण मनुष्य की शक्ति रखता है ( ८ चित्र २० )
चौकोर (The Squrare type)
यह चौकोर नाम हथेली के चौकोर होने के कारण पड़ता है। ऐसा हाथ वास्तव में कर्मकार दिखाई पड़ा है। यह लगभग सीधा ही होता है । अथवा कलाई उंगुलियों की जड़ों में बराबर (Side) में एकसा होता है। अंगुलियाँ भी देखने में " वर्गाकार छाँट " रखती है। अंगूठा सदा लगभग लम्बा, अच्छी शक्ल का और हथेली में ऊँचे को होता है।
चौकोर हाथ अभ्यासी या कार्यशील हाथ भी कहलाता है। ऐसे मनुष्य विशेषकर अभ्यासी, तर्क पटु और पार्थिव होते है। वे पृथ्वी तथा पृथ्वी की वस्तुओं में रहते हैं । वे बहुत कम आदर्श तथा विचार रखते हैं, वे ठोस गम्भीर कार्य करने वाले तथा जो कुछ भी वे करते है। उसे विधि पूर्वक तथा परिश्रम से करते है, बेसबूत अपना अपने कारणों से विश्वास करते है । वे किसी वस्तु की अपेक्षा अपनी आदतों से अक्सर धार्मिक और अन्धविश्वासी होते है । वे अपने इरादे के पक्के और दृढ़ होते हैं विशेषकर जबकि उनका अंगूठा लम्बा और उसका जोड़ कड़ा हो।
उन्हें जिस क्षेत्र में कल्पना व कार्य विचारने की शक्ति की आवश्यकता नहीं होती, उसमें सफल हो जाते है। वे व्यापार, डॉक्टरी, वकालत, विज्ञान आदि क्षेत्रों में अधिक अच्छा कार्य करते है, और प्रायः ऐसे ही क्षेत्रों में पाये जाते है।