Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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निमित्त शास्त्रम्
एवंबहुप्पयारं णुप्पायपरंपराय णाऊणं।
रिसिपुत्तेण मुणिणा सव्वप्पियं अप्पगंथेण ॥१८७ ।। (एवं बहुप्पयारं) इस तरह से बहुत प्रकार के (पुप्पाय परंपपराय णाऊणं) उत्पातों को जानकर वह भी परम्परा से आगत को जानकर (रिसिपुत्रेण मुणिणा) मैंने ऋषि पुत्र मुनि ने (सव्वप्पियंअप्पगंथेण) सब प्रकार से इस छोटे से ग्रन्थ में वर्णन किया है।
भावार्थ-इस प्रकार परम्परा से आगत उत्पातों को जानकर मैंने अर्थात् ऋषि पुत्र नामक मुनि ने इस छोटे से ग्रन्थ में वर्णन किया है ।। १८७॥
(इति निमित्त शास्त्रं समाप्तः) मशवाय आतावाधसम्मTAR
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