Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
जाता है। तो इसकी विशेषताएँ अधिक क्रियाशील तथा खतरनाक होती है। ऐसे मनुष्यों के विचार अस्वस्थ्य होते है। जबकि यह मंगल का पटका टूटा हो या छोटे-छोटे टुकड़ों से बना हो तो हिस्टरिक प्रकृति के अतिरिक्त कम अर्थ रखती है। तथा जो स्वभाव मैंने ऊपर लिखे है। उनकी ओर झुकी रहती है, जब यह मंगल का पटका शादी की रेखा से गुजरता है तो उसके लिए शादी का बहुत बुरा अनुभव होगा ।
दार्शनिक हाथ (Philosophic)
दार्शनिक नाम ग्रीस के, प्रेम तथा चतुरता से पड़ा है। यूनानियों ने देखा कि जो मनुष्य ऐसा हाथ रखते हैं वे दर्शन शास्त्र की ओर झुके होते हैं। और कोई भी चीज उन्हें नहीं रोक सकती । दार्शनिक हाथ लम्बा, हड्डीदार और गाठंदार जोड़ों से कोणदार और प्रायः पतला होता है। ऐसे मनुष्य बहुत पढ़ने (Stodious) वाले होते हैं। वे विद्वान और साहित्य की ओर रूचि रखते है। वे अकेले कार्य करना पसन्द करते है। और कुछ एकान्त तथा अकेली प्रकृति के होते हैं। इस विशेषता के कारण प्रायः मनुष्य धार्मिक उत्सवों में भाग लेते है। और मन्दिरों में जीवन व्यतीत करते हैं। बूढ़े, संन्यासी मेरा मतलब उनसे है जिन्होंने धर्म, विज्ञान, कला तथा गूढ़ रहस्यों पर आश्चर्यजनक लेख लिखे हैं, सभी इसी प्रकार का हाथ रखते है । हमारे वर्तमान काल में यह श्रेणी आसानी से पहचानी जा सकती है। और विशेषताएँ जबकि यह बतलाती है कि कलयुग तथा धनयुग में भी वही रहता
है।
Fia 3
THE SPATULATE NAND
लेपनी के समान हाथ दार्शनिक
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THE 14.SOPHIC MAR
हाथ
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