Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्तरेखा ज्ञान
रेखा हथेली के मध्य भाग से अथवा जीवन से शुरू हो तो वह व्यक्ति स्वयं अपना भाग्य निर्माता होता हैं यह रेखा चौरस व शंकु (Spatulate) की सी आकृति वाले हाथ में अधिक अच्छे परिणाम दिखाती हैं। जिससे इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता हैं। जब सूर्य भी साथ में हो यदि यह रेखा मस्तिष्क रेखा के पास समाप्त हो तो प्यार के कारण आजीविका नष्ट भी हो सकती हैं। यदि यह रेखा बीच में टूटी हुई हो तो आजीविका अनिश्चित होती हैं । दोहरी रेखा शुभ चिह्न है जो व्यक्ति के स्थान को सुदृढ़ बनाती हैं। अथवा आय के दो साधन भी हो सकते हैं ?
(5) आयु रेखा - कनिष्ठिका अंगुली से निकल कर हथेली से होती हुई तर्जनी अंगुली की जड़ तक जावे और वह खण्डित न होवे, टूटी-फूटी न हो लम्बी हो तो लम्बी उमर का है। जो पूरी तर्जनी तक चली गई हो तो 100 वर्ष की आयु मध्यमा अंगुली की जड़ तक हो तो 75 साल की आयु अनामिका अंगुली तक गई हो तो 50 साल की आयु होती हैं। इससे जितना कम हो उतनी ही आयु कम होती हैं।
(6) सम्पत्ति रेखा — आयु रेखा का वैभव रेखा के बीच में चौकड़ीदार आकार हो तो जितनी चौकड़ी हो, वे वह उतना ही धनी होता हैं। एक चौकड़ी वाला साधारण धनी होता हैं । अर्ध्व रेखा से दौलत का होना देखा जाता हैं आयु रेखा व कनिष्ठिका अंगुली के बीच में जितनी आड़ी रेखा पड़ी हों उसको श्री रेखा कहते हैं।
( 7 ) सन्तति रेखा ( सन्तान ) – मणिबन्ध से आयुष्य रेखा तक हथेली के बाजू में जितनी आड़ी रेखा पड़ी हों उतने पुत्र-पुत्री होते हैं। जितनी रेखा अखण्ड होंवे निश्चय ही उतने ही पुत्र-पुत्री जीवित रहते हैं । हमारे अनुभव से पूर्ण रेखा जितनी हो उतनी ही सन्तान जीवित रहती हैं।
( 8 ) भाई बहिन रेखा — मणिबन्ध से मूल व पिता की रेखा अंगूठे के बीच के भाग में जितनी आड़ी रेखा होंवे उतने ही बहिन भाई जानो, जितनी पूरी रेखा हों उतने ही बहिन-भाई जानो, जितनी पूरी रेखा हों उतने ही जीवित रहते हैं, जो बीच में टूट गई वह नहीं रहते ।