Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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अंगुल ऊंचा हो वह उत्तम तेजस्वी होता है। एवं जो 95 अंगुल हो वह मध्यम होता है। जो 85 अंगुल हो वह सामान्य होता हैं। और जिसकी ऊंचाई कम हो तो वह मनुष्य कष्ट पूर्वक जीवन व्यतीत करे, तथा दुःखी रहे।
अब आगे मानव शरीर के आंगोपांग व हस्तरेखा सामुद्रिक शास्त्र का पं. बागभट्ट जी विस्तार से वर्णन करते हैं। जिसमें जैनाचार्यों के द्वारा लिखा कर लखन नामकग्रन्थ का आधार लेकर और भी अन्य लेखकों के ग्रन्थों का सहारा लेकर इस ग्रन्थ का विस्तार से वर्णन करता हूँ।
हाथ व उसकी प्रमुख रेखाएँ
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