Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
८९३
हस्त-रेखा जान
आदर्शात्मक (Idealistic) हाथ __ ऐसा हाथ अनेक दशाओं में केवल मानसिकता में सबसे उन्नत होता है किन्तु सांसारिक दृष्टि से सबसे कम कामयाब होता है। ऐसे
कलात्मक (Artistic) या नुकीला हाथ कलात्मक हाथ पतली और नुकीली अंगुलियों से बहुत ही सुन्दर लगता है (चित्र 1 भाग 2) यह न केवल हाथ की बनावट के ही कारण वरन् अपनी विशेषताओं के कारण भी कलात्मक हाथ कहलाता है।
यह नहीं कि ऐसा मनुष्य सदा तस्वीरे रखे या सुन्दर चीजें ही बनाये किन्तु, तरंगित तथा कलात्मक स्वभाव रखता है जबकि अपने सुन्दर वातावरण को पसन्द करता है। और वह रंग गायन तथा सुन्दर कलाओं के प्रति भावुक होता है। यह बहुत कुछ मस्तक रेखा तथा उससे प्रदर्शित इच्छा शक्ति पर निर्भर है। कि वह मनुष्य स्वाभाविक ही कलात्मक स्वभाव की उन्नति करेगा या नहीं।
यदि हाथ भरा हुआ, गुदगुदा सा मुलयाम है, तो वह निश्चित रूप से प्रकृति में आलस्य बतलाता है। वह आलस्य यदि अब तक बाहर नहीं आया तो वह कोई असली नतीजे पर पहुँचने के लिए सख्त काम से झगड़ता है। सभी तरगित मनुष्य इस श्रेणी की विशेषताएँ रखते हैं, लेकिन अधिकतर अपना समय केवल कला की बढ़ाई करने में ही व्यतीत करते है। और अपने आप उसको बनाने का कोई उद्योग नहीं करते।
हाथ जितना दृढ़ तथा कड़ा होगा मनुष्य वास्तव में उतना ही अधिक अपने कलात्मक स्वभाव से कुछ बनायेगा।
मिश्रित (Mixed) हाथ मिश्रित हाथ या तो सभी प्रकार के या कुछ प्रकार के हाथों का मिश्रण होता है। इनकी अक्सर हर एक अंगुली अलग प्रकार की होती है। या कभी-कभी हथेली एक प्रकार की और अंगुलियों से मिश्रित होती है। ऐसे मनुष्य सदा अस्थिर तथा चपल होते है लेकिन इतने परिवर्तनशील होते हैं। कि वे अपने बौद्धिक कार्यों में बहुत कम सफल होते हैं। वे अक्सर हर कार्य को कुछ न कुछ कर सकते