Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| भद्रबाहु संहिता
(हयलम्मिजइदेवो) वर्षा हो तो (छठे मासे वरिसइ बहुयं चव) छठे महीने में वर्षा बहुत (पुच्चए तत्थ) होती है ऐसा कहा है।
भावार्थ-यदि पौष मास में बिजली चमक कर वर्षा बरसे तो समझो आषाढ़ मास में बहुत अच्छी वर्षा होती है।। १६४॥
अहमासेफग्गुणेसुय दीतीणब्भियाउ अब्भाउ।
छठेउणवउमासे वरिसइ देमुत्तिणायव्वो॥१६५।। (अहमासेफग्गुणेसुय) माघ और फाल्गुन महीने के (दीतीणब्भियाउ अब्भाउ) शुक्ल पक्ष में यदि तीन दिन लगातार पानी बरसे तो समझो (छडेउणवउमासे) छठे महीने में व नौवे महीने में (वरिसइदेमुत्तिणायव्वो) अवश्य वर्षा होगी।
भावार्थ-यदि माघ या फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में लगातार तीन दिन पानी बरसे तो समझो छढे महीने में या नौवे महीने में वर्षा अवश्य होगी ।। १६५।।
अब्भाणेमेहपत्ती कालेकाले जहापयासिज्ज।
तोहोहदि वाहिभयं वासर रत्तेणसंदेहो॥१६६॥ (अब्भाणेमेहपत्ती कालेकाले) यदि प्रतिक्षण आकाश से मेघ (जहापयासिज्ज) बरसते रहे तो समझो (तोहोहदि वाहि भयं) वहाँ पर भारी भय (वासररक्तेणसंदेहो) रात-दिन होता है।
भावार्थ-यदि प्रतिक्षण आकाश से मेघ बरसते रहे तो समझो वहाँ रोग, भय रात-दिन लोगों को सतावेगा ।। १६६॥
अहकित्तियाहि वरसइ सस्साण विणासणोहवइ देवो।
रोहिणिसुसुप्पत्ती देसस्सवी णात्थिसंदेहो। १६७॥ (अहकित्तियाहि वरसइ) यदि कृत्तिका नक्षत्र में पानी बरसे तो (सस्साणविणासणोहवइदेवो) धान्यों का नाश होगा ऐसा समझो (रोहिणिसुसुप्पत्ती देवसस्सवीं) रोहिणी नक्षत्र में बरसे तो देश की हानि होती है (णत्थिसंदेहो) इसमें कोई सन्देह नहीं है।
भावार्थ-यदि कृत्तिका नक्षत्र में वर्षा हो तो धान्यों का नाश और रोहिणी नक्षत्र में बरसे तो देश का नाश होता है ।। १६७॥