Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
८६७
निमित्त शास्त्रम्:
और अगर सफेद रंग का गन्र्धव नगर दिखे तो समझो घी, तेल, दूध का नाश करता है।। १४१॥
किण्हो वच्छविणासो रत्तोपुण उदयणासणो भणिओ।
अइकालरत्तवण्णो दीसंत असोहणो णयरो।। १४२ ॥ (किण्हो वच्छविणासो) काले रंग का गन्र्धव नगर वस्त्र का नाश करता है (रत्तोपुण उदयणासणो भणिओ) लालरंग का गन्र्धव नगर उदय का नाश करता है (अइकाल रत्तवण्णो दीसंत) एवं लाल वर्ण का गर्भात नागर, देर तक दिखाई दे तो (असोहणोणयरो) अशोभनीय हैं।
भावार्थ-यदि काले रंग का गधव नगर दिखे तो समझो वस्त्र का नाश करेगा, लाल रंग का गन्र्धव नगर उदय का नाश करता है, एवं लाल रंग का गन्र्धव नगर देर तक दिखाई पड़े तो अशोभनीय है। १४२॥
ए ए दरसण णूवा णयरी असुहावहां मुणेयब्वा।
जम्भिदिसेदीसिज्जा तम्मेिदि तत्तु णायव्वा ॥१४३॥ (ए ए दरसण णूवा णयरी) जहाँ-जहाँ यह गन्र्धव नगर दिखे (असुहावहां मुणेयव्वा) वहाँ अशुभ होता है ऐसा जानना चाहिये। (जम्मिदिसेदीसिज्जा) जिस दिशा में दिखे (तम्मिदिसे तत्तु णायव्वा) उसी दिशा में उसका फल होगा।
भावार्थ-जहाँ-जहाँ और जिस-जिस दिशा में या नगर में ये गन्र्धव नगर दिखते हैं उसी-उसी दिशा में या नगर में उसका अशुभ फल होता है।। १४३ ।।
अहरिक्खमज्झ वच्चहछायंतो तारयाणिबहयाणि।
सो मादेशणासं कुणइ पुणोणत्थिसंदेहो॥१४४॥ (अहरिक्खमज्झवच्च) वह गर्धव नगर तारों के मध्य (छायंतो तारयाणि बहूयाणि) छाया हुआ दिखाई पड़े तो (सोपुणोमज्झदेशणासं कुणइ) समझो मध्य देश का नाश करेगा, (णत्थिसंदेहो) इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ-यदि वह गन्र्धव नगर तारा के बीच में छाया हुआ दिखाई पड़े तो समझो मध्य देश का नाश करेगा इसमें कोई सन्देह नहीं हैं॥१४४ ॥