Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
८५९
निमित्त शास्त्रम्:
(या जत्थदीसइथपड़ा पुग्वे उत्तरमुण्णानुक्का) यदि पूर्व या उत्तर दिशा में उल्का दिखे तो (तत्थविणासोहोहइ गामे) उस गाँव में विनाश होगा (णयरे) नगर में नाश होगा (णसंदेहो) इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ यदि पूर्व या उत्तर दिशा की ओर उल्कापात दिखाई पड़े तो समझो उस नगर का या देश का नाश होगा॥११६॥
उक्कायस्थ जलंती मासे मासे सुसव्व कालेसु।
छम्मासं पडमाणं तत्थोपाणिवेदेई ॥११७॥ (यत्थउच्छाजलंती) यदि जलती हुई उल्का (मासे मासे सुसव्वकालेसु) महीने-महीने के सर्वकाल में (छम्मासं पडमाणं) छह महीने या प्रथम मास में दिखे तो (तत्थोपाणंणिवेदेई) उस उत्पात का फल देश के मनुष्यों का मरण होगा।
भावार्थ- यदि जलती हुई उल्का छह महीने तक वा महीने के प्रति मास में दिखे तो उसका फल मनुष्यों का मरण होगा ऐसा निवेदन करे ॥ ११७॥
सुक्किदवाधूमाभा जइ वाणिच्चाइ धूसराउक्का।
पडमागो दिसिज्झाणं हम्भित्तं जाण उप्पादं॥११८॥ (जइ) यदि (सुक्किदवाधूमाभा) सफेद रंग की धूमवर्ण से (धूसराउक्कावाणिच्चाइ) धूसरित उल्का दिखाई पड़ें तो समझों (षडमाणेदिसिज्झाणं) वह बड़ी भारी उल्का (हम्मित्तं जाण उप्पाद) है और फल भी उसका भारी ही होगा।
भावार्थ-यदि सफेद उल्का धूएँ से धूसरित दिखाई पड़े तो समझो वह उल्का बड़ी भारी है और जैसा है वैसा ही फल देगी ।। ११८॥
सुक्का हणेइविप्पारत्तापुण खत्तईविणासेई।
पीया हणेइ वइसेकिण्हापुण सुद्दणासयरी॥११९ ॥ (सुक्का हणेइविप्पा) सफेद उल्का ब्राह्मणों का नाश करती है (रत्तापुणखत्तइंविणासेई) लाल उल्का क्षत्रियों का नाश करती है (पीया हणेइ वइसे) पीली उल्का वैश्यों का नाश करती है (किण्हापुणसुद्दणासयरी) काली उल्का शूद्रों का नाश करती है।