Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
t
८५३
निमित्त शास्त्रम्:
(कोटणयरस्सदोरदेवल) नगर के कोट वा दरवाजे पर या मन्दिर पर (चउप्पहेय रायगिहे ) चौराहे पर राजमहल पर ( अहत्तोरणेयइंदो) यक्ष लड़ते हुए दिखाई पड़े तो ( णिद्धसणसोहणं णीऊ ) उसका फल आगे कहेंगे ।
भावार्थ -- यदि नगर के कोट, दरवाजे, राजमहल, देव मन्दिर आदि पर यक्ष लड़ते हुए दिखाई पड़े तो समझो नीचे लिखा फल होगा ॥ ९६ ॥
प्रायार
बालव हो
तोरणमज्झेयगब्भयाऊय । गयसाल अस्स साले कुणड़ वह साहणस्ससया ॥ ९७ ॥
( पायार बाल वहो ) कोट पर नाचते दिखने पर बाल बच्चों की हानि (तोरणमज्झेयगब्भयाऊय) तोरण के ऊपर नाचते दिखे तो गर्भवती स्त्रियों को हानि होगी, (गयसालअस्ससाले) गऊशाला या अश्वशाला पर नाचते दिखे तो (कुणइवहं साहणस्ससया) समझो साहूकारों को हानि होगी ।
भावार्थ- -कोट पर नाचते दिखने पर बच्चों की हानि, तोरण पर दिखे तो गर्भवती स्त्रियों को हानि, गोशाला या अश्वशाला पर यदि ऐसा दिखे तो वैश्यों का नाश अवश्य होगा ।। ९७ ।।
कुणई । णासंणिवेदेई ॥ ९८ ॥
देवकुलेविप्प भओरायगिहे रायणासणं शक्कथये सुयपडिवो पुरस्स
(देवकुलेविप्प भओ) देवमन्दिर पर यक्ष नाचते दिखे तो ब्राह्मणों का नाश होगा (राय रायणासणं कुणई) राजग्रह पर नाचने पर राजा का नाश होगा, (शक्कध्ये सुयपडिवो ) चौराहे पर नाचे तो (पुरस्सणासंणिवेदेई ) नगर का नाश होगा।
भावार्थ — देव मन्दिर पर यक्ष नाचते दिखे तो ब्राह्मणों का नाश राजा के महल पर नाचे तो राजा का नाश होगा, चौराहे पर नाचते दिखे तो नगर का नाश होगा ॥ ९८ ॥
आइव्वो जइछिद्दो अह अकवीसेय दीस जो जाणरायमरणं संगामो होई
मज्झे ।
वरिसेण ॥ ९९ ॥