Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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निमित्त शास्त्रम्:
बहुत खेलते हो तो (तम्मियगामेअग्गी) उस ग्राम में अग्नि (पंचमदिवहे) पाँचवें दिन लग जाती है। (णसंदेहो ) इसमें सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ- यदि बालक घर में से अग्नि ला- लाकर खेलते हो तो समझो उस नगर में पाँचवे दिन अग्नि लग जायेगी, इसमें सन्देह नहीं है ॥ ५८ ॥
अहकीलमाणचोरं तवालया सव्वदोय धावंति । तइयम्मि तच्च दिवहे चोरस्स भयं मुणेयव्वं ॥ ५९ ॥
(अहकीलमाणचोरतवालया) यदि बालक खेलते खेलते चोर आया चोर आया ( सव्वदीय धावंति ) ऐसा शब्द करते हुए दौड़ते हों तो (तइयम्मितच्चदिव हे ) तीसरे दिन उस ग्राम में (चोरस्स भयं मुणेयब्वं ) चोर का भय जानना चाहिये ।
भावार्थ-यदि बालक चोर आया चोर आया ऐसा शब्द करते-करते दौड़ते हों तो समझो, उस गाँव में तीसरे दिन चोर का भय उपस्थित होगा ।। ५९ ।।
अहमाणुसीयगाएय हत्थिणी घोडियाय सुणहीणा । पसवंति अब्भदाई देसविणासं णिवेदेति ॥ ६० ॥
( अहमाणुसीयगाएय) जहाँ पर मनुष्य गाना गावे (हत्थिणी घोडियाय सुणहीणा ) और वहाँ हथिनी या घोड़ी आकर गाना सुनने लगे ( पसवंति अब्भदाई) तथा प्रसव करे तो उस (देसविणासंणिवेदंति) देश का विनाश होगा ऐसा निवेदन करते हैं। भावार्थ- मनुष्यों के गाना गाने पर हथनी या घोड़ी आदि उस गाने को सुने तो समझो उस देश का नाश अवश्य होगा ॥ ६० ॥
अहमाणसीए मालगावी एहायपक्ख
एक्केण । छम्मासेणय घोडी वरिसेण य हत्थिर्णी कुणई ॥ ६१ ॥
( अहमाणसीए) मनुष्य के गाने पर जहाँ (मासगावीएहाय पक्ख एक्केण ) हथनी एक महीने तक गाने सुने, घोड़ी पन्द्रह दिन तक सुने तो ( छम्मासेणयघोडी) छह महीने में घोड़ी (वरिसेणय हत्थिनी कुणई) और एक वर्ष में हथनी देश का नाश करेगी ।