Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
belio lite
निमित्त शास्त्रम्:
जुत्ताविय सपडा) यदि सर्प गाड़ी को (वच्वंतिणमुट्ठियाचिवच्चंति) खींच गमघादे) लाते दिख रहे हो तो समझो उस ग्राम का घात होगा (भयं ) या युद्ध का भय होगा ऐसा निवदेन किया है।
यदि गाड़ी को सर्प खींचकर गाँव की ओर लाते हुए दिखे तो में युद्ध का भय उपस्थित होगा।। ५१॥ है हलोविदीसइणच्चंतो खितमन्झयारम्मि। पर विणासोपरकाऊ संदेहो॥५२॥ मात् (हलो) हल (खितमज्झयाम्मि) खेत के मध्य में (जूवो वता हुआ दिखे तो (होइईणयरविणासो) नगर का नाश होगा
और परचक्र का भय होगा। इसमें कोई सन्देह नहीं है। दि अकस्मात् हल खेत के अन्दर खड़ा होकर नाचने लगे तो परचक्र के द्वारा होगा।। ५२॥ उयणीयदि णीयंतो जइपडेदि भूमीए। खइ मारिभयं तग्गामेणथि संदेहो॥५३॥ दिणीयंतो) नाना प्रकार के वृक्ष अगर उखड़ कर अकस्मात् पर गिर पड़े तो (तो अक्खइमारि भयंतागामे) उस ग्राम (णत्थिसंदेहो) उसमें कोई सन्देह नहीं है। कार के वृक्ष यदि अकस्मात् भूमि पर गिर पड़े तो उस , इसमें कोई सन्देह नहीं है ।। ५३ ॥
झे साणारोवंतिणुद्ध तुंडाणं। विणासो परचक्काऊ संदेहो॥ ५४॥ दि शहर के ठीक मध्यमें (HI)
.
.
से होती