Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पार संदेहो॥४८॥ ५ अनाहवो) दुःख भरे शब्द (जम्मिकम्मि देसम्मि) कि H! देश में सुनाई पड़े तो (तसेजुद्ध भयं होइ घोरें) उस देश में घोर युद्ध होने (णसंदेहो) उसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ----जिस किसी देश में दुःख से भरे शब्द अचानक होने लगे तो समझो वहाँ पर घोर युद्ध होगा, इसमें कोई सन्देह नहीं है।। ४८॥
अह जत्थ धुवो चलदी चालितो वि णिच्चलो होई।
होहइ तस्सविणासो गाम्मस्सय तीहिमासेहि॥४९॥ (अह जत्थधुवो चलदी) जहाँ पर धुन पदार्थ चलने लगे और (चालिज्जतो वि णिच्चलो होई) चलित पदार्थ स्थित हो जाय तो (तस्स) वहाँ पर (तीहिमासेहि) तीन महीने में (गाम्मस्सय होहइ विणासो) गाँवों का विनाश हो जायगा।
भावार्थ-जहाँ पर ध्रुव पदार्थ चलने लगे और चलित पदार्थ ध्रुव हो जाय तो समझो वहाँ पर तीन महीने में गाँवों का विनाश हो जायगा। ४९॥
णाणाबइत्तमणा वज्जति ताडिया चउदी।
णासं तद्देसगमो वरपुरिसं गाणसंदेहो।।५०॥ (णाणावइत्तमणा वजंति) जहाँ पर बहुत से बाजों के बजने का शब्द सुनाई पड़े (अताडिया चउदी) और चारों तरफ कोई दिखे नहीं तो समझो (णासं तद्देसगमो वरपुरिसंणा) उस देश या उस गाँव का शीघ्र नाश होने वाला (णसंदेहो) इसमें सन्देह नहीं करना चाहिये।
भावार्थ-जहाँ पर बाजे नहीं बजाने पर भी बहुत से बाजों के बजने का शब्द सुनाई पड़े तो उस देश या ग्राम का शीघ्र नाश होगा, इसमें कोई सन्देह नहीं करना चाहिये।।५०॥
अहिजुत्ताविय सपडा वच्चंति णमुट्ठियाचिवच्छति। वित्तंतिगामधादे भयं च रणो णिवेदेहि॥५१॥