Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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निमित्त शास्त्रम्
अहणच्चंता दीसइ पुरूसेहि बहुविदेहि भूवेहि।
सो पंचमम्मि मासरोबरण्णेणिवेदेहि॥१९॥ (अहणच्चंता दीसइ) यदि सूर्य अस्त के समय में ऐसा दिखे कि (पुरूसेहि बहु विदेहि भूवेहि) सूर्य के अन्दर से पुरुषाकार चमकता हुआ कुछ निकल रहा है तो (सो पंचमम्मेिणसे) वह पांच महीने के भीता (रोयंरण्णेणिवेदेहि) लोगों को युद्ध में रुलायगा।
भावार्थ-यदि सूर्यास्त के समय पुरुषाकार चमकता हुआ एवं सूर्य के भीतर से निकलता हुआ दिखे तो समझो पाँच महीने के अन्दर वह लोगों को युद्ध में रुलायगा ।। १९॥
उदयच्छमणो सूरो सूरेहि बहुएहि दीसइविद्धो।
मासेविदिए जुद्धं तद्देसो होईणायव्वं ॥२०॥ (उदयच्छमणोसूरो) उदय और अस्त के समय में सूर्य के अन्दर (सूरेहि बहुएहि दीसइविद्धो) बहुत से छिद्र दिखे तो (विदिए मासे जुद्धं) दो महीने के अन्दर युद्ध होगा (तद्देसो होईणायव्वं) ऐसा आप जानो क्योंकि ऐसा ही है।
भावार्थ-यदि सूर्य उदय और अस्त के समय में सूर्य के अन्दर अनेक छिद्र दिखे तो समझो दो महीने के अन्दर युद्ध होगा ऐसा विद्वानों ने कहा है॥२०॥
अह धूमोअच्छयणेगिम्हम्हिय दीसइ जय सूरो।
देसम्मि इंद घोरं तेर दियहम्म जुझं च ॥२१॥ (अह सूरो) यदि सूर्य (धूमोअच्छयणेगिम्हम्हिय) अस्त होते समय अपने अन्दर से धुएं का गोला छोड़ता हुआ (दीसइजय) दिखे तो (इंददेसम्मि) ऐसा कहा गया है कि (तेरसदियहम्म जुझं च धोरं) तेरह दिनों में घोर युद्ध होगा।
भावार्थ-~यदि सूर्यास्त के समय सूर्य के अन्दर से धुएं के गोले निकलते दिखे तो समझो वहाँ पर तेरह दिनों में घोर युद्ध होगा॥२१ ।।