Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| निमित्त शास्त्रम्
भावार्थ-यदि बादल टुकड़े के रूप में दिखे गोमूत्र के समान उनका रंग हो तो वह राजा का मरण करता है और धीमी-धीमी वर्षा होती है॥३१॥
का इच्छंती दीसइ अभेहि बहुविहेहिरूवेहि।
अक्खइ बालविणासं हेमंतरणिगायासस्सा ॥३२॥ (का इच्छंती अभेहि) जो बादल (बहुविदेहिरूवेहि) बहुत रूप वाले बहुत रंग वाले होकर दिखे तो (अक्खइ बालविणासं) समझो बालकों का विनाश होगा (हेमंतरणिगायासस्सा) और वर्षा नहीं की सूचना देता है।
भावार्थ-जो बादल बहुत रूपवाले, रंग वाले हो तो वह बालकों के विनाश और दुर्भिक्ष की सूचना देता है । ३२ !।
चन्द्रप्रकरण चंदोसरूपसरिसो ये यारिसणू विऊण हयलम्मि।
जइदीसइ तस्सफलं भण्णाम्मि इत्तोणिसामेहा ।। ३३॥ (चंदोसरूपसरिसो) चन्द्रमा के समान (ये यारिसणू विऊण हयलम्मि) उसका रूप देखकर उसके फल को (जइदीसइ तस्सफलं) जैसा देखा वैसे ही फल को (भण्णाम्मि इतोणिसामेहा) मैं कहता हूँ सो तुम जानो।।
भावार्थ-अब मैं चन्द्रमा के फल को देखकर शुभाशुभ फल कहता हूँ क्योंकि यह इन ग्रहों का स्वामी है।। ३३ ।।
णावालं गलसरिसो दक्खिनउत्तर समं णऊ चंदो।
जुगदंड धनुसरिसा समसरित मंडलो नोदू ।। ३४॥ (चंदो) चन्द्रमा (णावालंगलसरितो) प्रतिपदा या द्वितीया का (दक्खिनउत्तर समंणऊ) दक्षिण उत्तर में समान या शृंग वाला हो (जुगदंड धनुसरिसा) जुगदंड या धनुष के (समसरितमंडलो नोदू) समान हो तो सुभिक्ष करता है।
भावार्थ-यदि प्रतिपदा का चन्द्रमा या द्वितीया का चन्द्रमा दक्षिण उत्तर में समान शृंग वाला हो या धनुषाकार हो तो सुभिक्ष करता है ।। ३४ ।।