Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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षडविंशतितमोऽध्यायः
शुक्लपक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी-इन तिथियों में स्वप्न देखने से स्वप्न का फल नहीं मिलता है तथा स्वप्न मिथ्या होते हैं।
पूर्णिमा-इस तिथिके स्वप्नका फल अवश्य मिलता है। कृष्णपक्ष की प्रतिपदा-इन तिथियों को स्वप्न का फल नहीं होता है।
कृष्णपक्ष की द्वितीया-इस तिथि का स्वप्न फल विलम्ब से मिलता है। मतान्तर से इसका स्वप्न सार्थक होता है।
कृष्णपक्ष की तृतीया और चतुर्थी-इन तिथियों के स्वप्न मिथ्या होते हैं।
कृष्णपक्ष की पंचमी और षष्ठी-इन तिथियों के स्वप्न दो महीने बाद और तीन वर्ष के भीतर फल देने वाले होते हैं। _कृष्णपक्ष की सप्तमी—इस तिथिका स्वप्न अवश्य शीघ्र ही फलदेता है।
कृष्णपक्ष की अष्टमी और नवमी-इन तिथियों के स्वप्न विपरीत फल देने वाले होते हैं। ___कृष्णपक्ष की दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी-इन तिथियों के स्वप्न मिथ्या होते हैं।
कृष्णपक्ष की चतुर्दशी-इस तिथि का स्वप्न सत्य होता है। तथा शीघ्र ही फल देता है।
अमावस्या-इस तिथि का स्वप्न मिथ्या होता है।
धन प्राप्ति सूचक स्वप्न-स्वप्नमें हाथी, घोड़ा, बैल, सिंहके ऊपर बैठकर गमन करता हुआ देखे तो शीघ्र धन मिलता है। पहाड़, नगर, ग्राम, नदी और समुद्र इनके देखने से भी अतुल लक्ष्मीकी प्राप्ति होती है। तलवार, धनुष और बन्दक आदिसे शत्रुओंको ध्वंस करता हुआ देखने से अपार धन मिलता है। स्वप्नमें हाथी, घोड़ा, बैल, पहाड़, वृक्ष और गृह इन पर आरोहण करता हुआ देखने से भूमि के नीचे से धन मिलता है। स्वप्नमें नख और रोमसे रहित शरीरके देखने से लक्ष्मीकी प्राप्ति होती है। स्वप्नमें दही, छत्र, फूल, चमर, अन्न, वस्त्र, दीपक, ताम्बूल, सूर्य, चन्द्रमा, पुष्प, कमल, चन्दन, देव-पूजा, वीणा और अस्न देखने से शीघ्र ही अर्थलाभ होता है। यदि स्वप्नमें चिड़ियोंके पर पकड़कर उड़ता हुआ