Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
भावार्थ — जो व्यक्ति स्वप्न में स्वर्ण के आभूषणों को तथा पीले पुष्प को कोई भी पुरुष देता है उसको स्वर्ण का लाभ होता है ॥ १०८ ॥
शुभं
वृषेभ वाहानां कृष्णानामपि
दर्शनम् । शेषाणां कृष्णद्रव्याणामालोको निन्दितो बुधैः ॥ १०९ ॥
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स्वप्न में यदि (कृष्णानामपि ) काले रंग के होने पर भी (वृषेभ वाहानां दर्शनम् शुभं ) बैल हाथी आदि दिखना शुभ है ( शेषाणां कृष्णदव्याणां ) शेष सभी काले द्रव्यों को (मालोको निन्दितो बुधैः) देखना ज्ञानीयों में निन्दित माना है।
भावार्थ — जो स्वप्न में यदि काले रंग के बैल हाथी वाहन आदि देखता है तो उसके लिये शुभ है शेष सभी काले द्रव्यों को देखना बुद्धिमानों ने निन्दित माना है ।। १०९ ॥
सज्जन प्रेम गोधूमैः
दध्नेष्ट जिन पूजा यवैर्दृष्टः सिद्धार्थे र्लभते
सौख्यसङ्गमः । शुभम् ॥ ११० ॥
( दध्नेष्ट सज्जनप्रेम) स्वप्न में दही के दर्शन होने पर सज्जन प्रेम की प्राप्ति होती है (गोधूमैः सौख्यसङ्गमः) गेहूँ के देखने पर सुख की प्राप्ति होती है (यवैर्दृष्टः जिनपूजा) जौ, देखने पर जिन पूजा की प्राप्ति होती है । (सिद्धार्थैलर्भतेशुभम् ) सरसों के देखने पर शुभ की प्राप्ति है ।
भावार्थ — यदि स्वप्न में मनुष्य दही को देखे तो सज्जन प्रेम की प्राप्ति होती है गेहूँ देखने पर सुख की प्राप्ति होती है, जो देखने पर जिन पूजा और सरसों के देखने पर शुभ की प्राप्ति होती है ॥ ११० ॥
शयनासनयानानांस्वाङ्ग
वाहन
वेश्मनाम् । दाहं दृष्टवा ततो बुद्धो लभते कामितां श्रियम् ॥ १११ ॥
( शयनाशनयानानां ) शयन आसन सवारी ( स्वाङ्ग वाहन वेश्मनाम) स्वाङ्ग, वाहन, महल को ( दाहंदृष्ट्वा ) जलता हुआ देखकर ( ततो बुद्धो ) वह जाग जाय तो ( कामितांश्रियम् लभते ) अभिष्टवस्तुओं की प्राप्ति होती है
भावार्थ स्वप्न में यदि शयन आसन सवारी वाहन महलादि को जलते हुए देख कर वह जाग जाय तो अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति होती है ॥ १११ ॥