Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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परिशिष्टाऽध्याय:
___ भावार्थ स्वप्न में सफेद माला अलंकार धारण करना शुभ है, और लाल, पीला, नीला वस्त्र धारण करना शुभ नहीं है अशुभ है॥१३७।।
मन्त्रज्ञः पाप दूरस्थो, वातादिदोषजस्तथा। दृष्टः श्रुतोऽनुभूतश्च चिन्तोत्पन्नः स्वभावजः।।१३८ ।।
पुण्यं पापं भवेद्दवं मन्त्रज्ञो वरदो मतः।।
तस्मात्तौ सत्यभूतौ च शेषा: षनिष्फला: स्मृताः॥१३९।। (मन्त्रज्ञः पाप दूरस्थो) पापसे दूर, मन्त्र स्वप्न है (वातादि दोषजस्तथा) वातादिक के कूपित होने पर जो स्वप्न है वह वातज है (दृष्टः श्रुतोऽनुभूतश्च) दृष्ट, अनुभूत और (चिन्तोत्पन्न: स्वभावजः) चिन्तोत्पन्न स्वभाव से आने वाला स्वप्न (पुण्यं पापं भवेदैवं) पुण्य पाप के ज्ञापक देव, (मन्त्रज्ञो वरदो मत: तस्मातौ) उसमें मन्त्रज्ञ और देव स्वप्न (सत्यभूतौ च) सत्य होता है और (शेषाः षट्निष्फला: स्मृता:) शेष छह प्रकार का स्वप्न निष्फल होता है।
भावार्थ-पाप भावना से दूर रहकर मन्त्र साधना पूर्वक जो स्वप्न है वह स्वप्न मन्त्रज है, वातादिक के कुपित होने पर जो स्वप्न है उसको वातज स्वप्न कहते है, दृष्ट, अनुभूत और चिन्ता से उत्पन्न और स्वभावज: स्वप्न, पुण्य, पाप के ज्ञापक दैव, उसमें मन्त्रज्ञ और दैवीक स्वप्न सत्य होता है, शेष छह प्रकार का स्वप्न निष्फल होता है। यहाँ पर छह प्रकार का स्वप्न निष्फल बताया, मात्र दो प्रकार के स्वप्न ही फलदायक बताये, स्वप्न आठ प्रकार के होते हैं वातज, मान्त्रिक, दृष्टज, श्रुतज, अनुभूत, चिन्तित और स्वभावज, दैविक ।। १३८-१३९।।
मलमूत्रादि बाधोत्थ आधि व्याधि समुद्भवः ।
मालास्वभावदिवास्वप्नः पूर्वदृष्टश्च निष्फलः॥१४०।। (मलमूत्रादि बाधोत्थः) मल जनित, मूत्र जनित वा अन्य मलादि से जनित स्वप्न (आधि व्याधि समुद्भवः) आधि व्याधि से जनित स्वप्न (माला स्वभाव दिवा स्वप्नः) माला जनित, स्वभाव से आने वाला स्वप्न दिन में आने वाला स्वप्न (पूर्वदृष्टश्च) जाग्रत अवस्था का स्वप्न सब (निष्फल:) निष्फल होते हैं।