Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता |
नये वस्त्र बदलने व फटने का फल प्रभूत वस्त्रदाश्विनी भरण्यापहारिणी।
प्रदह्याग्निदैवते प्रजेश्वरेऽर्थ सिद्धये ।। १८३॥
(अश्विनीप्रभूत वस्त्रद्) अश्विनी नक्षत्र में नये वस्त्र धारण करने पर बहुत वस्त्र मिलते है (भरण्यार्थापहारिणी) भरणी नक्षत्र में बदलने से धन का नाश होता है (दैवतेप्रदह्याग्नि) कृत्तिका नक्षत्रमें वस्त्र धारण करने से वस्त्र जल जाता है (प्रजेश्वरेऽर्थसिद्धये) रोहिणी में वस्त्र धारण करने से धन लाभ होता है।
भावार्थ-अश्विनी में नवीन वस्त्र धारण करने से बहुत वस्त्र लाभ होता है भरणी में वस्त्र धारण करने से अर्थ की हानि होती है कृत्तिका में वस्त्र धारण करने से वस्त्र जल जाता है रोहिणी में धारण करने से धन की प्राप्ति होती है।। १८३ ।।
मृगे तु मूषकाद्भयं व्यसुत्व मेव शाङ्करे।
पुनर्वसौ शुभागमस्तदनभे धनैर्युतिः ॥ १८४॥
(मृगे तु मूषकाद्भयं) मृगशिरा नक्षत्र में चूहे काटने का भय होता है (व्यसुत्वमेव शाङ्करे) आर्द्रा में वस्त्र धारण करने से मरण होता है (पुनर्वसौ शुभागमस्त) पुनर्वसु नक्षत्र में वस्त्र धारण करने से शुभागमन होता है (दग्रभे धनैर्युतिः) पुष्य में वस्त्र धारण करने से धनलाभ होता है।
भावार्थ---मृगशिरा में वस्त्र धारण करना चूहे काटने का भय, आर्द्रा में मरण और पुनर्वसु में वस्त्र धारण करने से किसी शुभागमन की प्राप्ति होती है, और पुष्पनक्षत्र में नवीन वस्त्र धारण करने से धन का लाभ होता है ।। १८४ ।।
भुजङ्गमे विलुप्यते मघासु मृत्युमादिशेत् ।
भगाह्वये नृपाद्भयं धनागमाय चोत्तरा ।। १८५॥
(भुजङ्गमेविलुप्यते) आश्लेषा में पहनने से वस्त्र नष्ट हो जाता है (मघासुमृत्युमादिशेत्) मघा नक्षत्र में वस्त्र धारण करने से मृत्यु होती है (भगाह्वये नृपाद्भयं) पूर्वाफाल्गुनी में वस्त्र धारण करने से राजा का भय होता है (चोत्तराधनागमाय) उत्तराफाल्गुनी में नवीन वस्त्र धारण करने से धन की प्राप्ति का कारण है।