Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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भावार्थ-जो स्वप्न में लाल मल और लाल मूत्र करता हुआ देखे एवं फिर जाग जाय तो उसका धन नाश हो जाता है।। १२१ ।।
विष्टां लोमानि रौद्रं वा कुङ्कुम् रक्त चन्दनम् ।
दृष्ट्वा यो बुध्यते सुप्तो यस्तस्याथों विलीयते ।। १२२ ।। (यो) जो (सुप्तो) सोता हुआ स्वप्न में (विष्टां लोमानि रौद्रं वा) विष्टा रोम अग्नि वा (कुङ्कुमं रक्त चन्दनम्) कुंकुम, लाल चन्दन को (दृष्ट्वा ) देखकर (बुध्यते) जाग जाय तो (यस्तस्यार्थो विलीयते) उसका धन नाश हो जाता है।
भावार्थ-जो स्वप्न में विष्टा, रोम, अग्नि वा कुंकुम, लाल चन्दन को देखकर जाग जाता है उसका धन नाश हो जाता है।। १२२ ।। रक्तानां
करवीराणामुत्पन्नानामुपानहम्। लाभो वा दर्शनं स्वप्ने प्रायातस्य विनिर्दिशेत् ॥ १२३ ।। (स्वप्ने) स्वप्न में जिस व्यक्ति को (रक्तानां करवीराणां) लाल रंग के कपड़े पहने हुऐ, हाथ में तलवार लिये (उत्पन्नानामुपानहम्) वीर पुरुष के जूते का (दर्शन) दर्शन हो तो (प्रयातस्यलाभे विनिर्दिशेत्) प्रयाण करने वाले को लाभ होता है।
भावार्थ स्वप्न में हाथ में तलवार धारण किये हुये लाल कपड़े पहने हुऐ किसी वीर पुरुष के जूते का दर्शन हो तो उसकी यात्रा सफल होती है।। १२३॥
कृष्णवाहाधिरूढो यः कृष्णवासो विभूषितः।
उद्विग्नश्च दिशं याति दक्षिणां गत एव सः ।। १२४ ।। (य:) जो स्वप्न में स्वयं को या और किसी को (कृष्णावाहाधिरूढो) काले वाहनों पर चढ़कर (कृष्णवासोविभूषितः) काले कपड़े पहन कर (उद्विग्नश्च) उद्विग्नमन होकर (दक्षिणां दिशोयाति) दक्षिण दिशा में गमन करना हुआ देखे तो (गत एव स:) वह शीघ्र मरण को प्राप्त हो जाता है।
भावार्थ-जो स्वप्न में काले वाहनों पर चढ़कर काले कपड़े पहन कर उद्विग्न होकर दक्षिण दिशा में जाते हुऐ देखे तो उसका मरण शीघ्र हो जाता है ।। १२४॥