Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
रात दिन पानी बहे, और नख रोमों से पसीना बहे तो समझो उसका मरण सात दिनों में हो जाता है ॥ १५ ॥
सुकृष्णा दशना यस्य न घोषा कर्णनं पुनः । एतैश्चिह्नस्तु प्रत्येकं तस्यायुर्दिनसप्तकम् ॥ १६ ॥
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(यस्य) जिसके (सुकृष्णा दशना) दांत काले पड़ जाय (न घोषा कर्णनं पुनः ) पुनः कर्णघोष न सुनाई पड़े ( एतैश्चिस्तु प्रत्येकं ) इतने चिह्न शरीर में दिखाई पड़े तो समझो (तस्यायुर्दिनसप्तकम्) उसकी आयु सात दिन की रह गई है ।
भावार्थ — जिसके दांत काले पड़ जाय और जिसको कर्ण घोष न सुनाई पड़े, इतने चिह्न हो तो समझो उसकी आयु सात दिन की रह गई है, वह सात दिन में मरने वाला है ॥ १६ ॥
निर्गच्छंस्तुदयते नेत्रयोर्मीलनाज्जोतिरद्दष्टं
(निर्गच्छंस्तुटते वायुः) जिसके शरीर में से वायु निकले और वह बीच में टूट जाय (तस्यपक्षैक जीवनम् ) तो वह पन्द्रह दिन में मर जायगा (नेत्रयोर्मीलनाज्जोतिरदृष्टं ) एवं नैत्र की ज्योति न दिखे तो ( दिनसप्तकम) सात दिन में वह मर जायगा |
भावार्थ - जिसके शरीर में से वायु निकले और वह बीच में ही टूटती जाय तो उसकी आयु पन्द्रह दिन की है एवं उसकी नैत्र की ज्योति नहीं दिखे तो वह सात दिन में मर जायगा ।। १७ ।।
वायुस्तस्य
पक्षैकजीवनम् । दिनसप्तकम् ।। १७ ।
क्रमम् ।
धूर्मध्ये नासिका जिह्वादर्शने च यथा नवत्र्येकदिनान्येव सरोगी जीवति ध्रुवम् ॥ १८ ॥ (भूर्मध्येनासिका जिह्वा) भौंह के मध्य में, नासिका, जिह्वा (दर्शनेचयथा क्रमम् )
काय तथा क्रम से दर्शन हो तो इस प्रकार ( नवत्र्येक दिनान्येव ) वह तीन दिन या एक दिन ( जीवतिप्रवम् ) निश्चय से जीवेगा ।
भावार्थ
-यथा क्रम से भौहों का मध्य नहीं दिखे तो नौ दिन जीवेगा,