Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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भावार्थ-जो रात्रि में स्वप्न में सूर्य व चन्द्र ग्रहण होता हुआ देखे एवं चन्द्र और सूर्य का नाश देखे तथा भूमि पर गिरता हुआ देखे तो उसकी आयु डेढ़ महीने की समझो वह इस अवधि से ज्यादा नहीं जीवेगा ।। ८८।।
गृहादाकृष्य नीयेत कृष्णैर्मत्यैर्भयप्रदैः।
काष्ठायां यमराजस्य शीघ्रं तस्य भवान्तरम्॥८९॥ (गृहादाकृष्य) घर में आकर (कृपौर्मत्यैर्भयप्रदै: नीयेत्) काले मनुष्य भय को उत्पन्न करने वाले ऐसे (काष्ठायां यमराजस्य) व्यक्ति स्वप्न में आकर यदि दक्षिण दिशा की और खींचकर ले जावे तो (तस्य) उसको (शीघ्र) शीघ्र ही (भवान्तरम्) भवान्तर में जाना है ऐसा समझो।
भावार्थ-यदि स्वप्न में व्यक्ति को घर में आकर काले मनुष्य दक्षिण में खींचकर ले जावे तो उसकी आयु शीघ्र समाप्त हो जायगी ऐसा समझो।। ८९॥
भिद्यते यस्तु शस्त्रेण स्वयं बुद्धचति कोपतः ।
अथवा हन्ति तान् स्वप्ने तस्यायुर्दिनविंशतिः।। ९०॥ (स्वप्ने) स्वप्न में (यस्तु) जो (स्वयं) स्वयं (शस्त्रेणभिद्यते) शस्त्र के द्वारा भेदन होता हुआ देखे (कोपतः बुद्धयति) वा कोप से जाग्रत होता हुआ देखे, (अथवा तानहन्ति) अथवा उसको मारता है (तस्यायुर्दिनविंशतिः) उसकी आयु बीस दिन की समझो।
भावार्थ-स्वप्न में जो स्वयं शस्त्र के द्वारा भेदन होता हुआ देखे और क्रोधित होता हुआ जाग जाय अथवा स्वयं को मारता हुआ देखे तो उसकी आयु बीस दिन की है।। ९० ।।
यो नृत्यन् नीयते बद्ध्वा रक्त पुष्पैरलङ् कृतः ।
सन्निवेशं कृतान्तस्य सामादूर्ध्वं स नश्यति ।। ९१ ।। (यो) जो स्वप्न में (रक्तपुपैरलङ्कृत:) लाल पुष्पों से अलंकृत करके (नृत्यन्) नृत्य करते हुए (सन्निवेशं कृतान्तस्य) दक्षिण दिशा की और (बद्ध्वा) बांधकर (नीयते) ले जाया जाय (मासादूर्ध्वं स नश्यति) तो एक महीने में वह ऊपर को चला जायगा।
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