Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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परिशिष्टाऽध्यायः
युग्मं अथर नख दशन रसनाः कृष्णा भवन्ति विना निमित्तेन । षड्रसभेदमवेता:
तस्यायुर्मासपरिमाणम् ।। २५॥ (युग्मंअधर) दोनों होठ (नख दशन रसनाः) नख, दांत जीभ (कृष्णा भवन्तिविनानिमित्तेन) बिना निमित्त के काले हो जाय तो (तस्यायुर्मासपरिमाणम्) उसकी आयु एक महीने की समझो और (षड्रसभेदमवेता:) जिसको छःह रसों के स्वाद का ज्ञान नहीं हो तो भी एक महीने की आयु समझो।
__भावार्थ-दोनों होंठ, नख, दांत, जीभ अपने आप ही काले हो जाय और जिसको छह रसों का स्वाद मालूम नई पड़े तो समझो उसकी आयु एक महीने की समझो ।। २५ ।।
ललाटे तिलकं यस्यविद्यमानं न श्यते।
जिह्वा यस्याति कृष्णत्वं मासमेकं स जीवति ॥२६॥
(यस्य) जिसके (ललाटे तिलकं) ललाट का तिलक (विद्यमानं न दृश्यते) विद्यमान न रहने पर भी नहीं दिखता है (जिह्वायस्यातिकुष्णत्वं) एवं जिसकी जीभ काली पड़ जाय तो (मासमेकं स जीवति) उसकी आयु एक महीने की समझो वह एक महीने में मर जायगा।
भावार्थ-जिसके ललाट पर का तिलक होने पर भी न दिखता हो और जिसकी जीभ काली पड़ जाय तो वह एक महीने में मर जायगा अर्थात् उसकी आयु एक महीने की है॥ २६ ।।
धृतिमदनविनाशो निद्रानाशोऽपि यस्य जायते।
भवति निरन्तरं निद्रा मासचतुष्कन्तु तस्यायुः ।। २७ ।। (यस्य) जिसके (धृतिमदन विनाशो) धैर्य का नाश, काम शक्ति का नाश (निद्रानाशोऽपि) और भी निद्रा का नाश (जायते) हो जावे (निरन्तर निद्रा भवति) तथा निरंतर सोता रहे तो (तस्यायु: मासचतुष्कन्तु) जिसकी आयु चार महीने की समझो।
भावार्थ—जिसके धैर्य का नाश हो जाय, काम शक्ति का नाश हो जाय