Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
भावार्थ — जो चन्द्र और सूर्य को बहुतच्छेद वाला एवं जमीन पर गिरता हुआ देखता है तो उसकी आयु दस दिन की है ऐसा समझो ॥ ३४ ॥
चतुर्दिक्षु रवीन्दूनां पश्येद् बिम्ब छिद्रं वा तद्दिनान्येव
चतुष्टयम् । मुहूर्त्तका: ।। ३५ ।।
चत्वारश्च
( रवीन्दूनां ) जो चन्द्र और सूर्य के ( बिम्बं ) बिम्ब को (चतुर्दिक्षु चतुष्टयम् पश्येद्) चारो दिशाओं में चार मुंह वाला दिखे और (छिद्रं वा तद्दिनान्येव ) छिद्र सहित दिखे तो ( चत्वारश्च मुहूर्तकाः) चार मूहुर्त की उसकी आयु समझनी चाहिये । भावार्थ —चन्द्र और सूर्य के बिम्ब को चारों दिशाओं में चार मुंह वाला दिखे तथा छिद्र सहित देखे तो उसकी आयु चार घटिका अर्थात् एक घण्टा छत्तीस मिनट की समझनी चाहिये || ३५ ॥
यदा
पश्येदायुश्चतुर्दिनम् ।
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तयोर्विम्बं तयोश्छिद्रेविशन्तं
नीलं भ्रमरोच्चयं
( यदा) जब रोगी ( तयोर्विम्बं ) उन चन्द्रया सूर्य के बिम्ब को (नीलंपश्येद्) नीले रंग का देखे तो (आयुश्चतुर्दिनम् ) उसकी आयु चार दिन की समझो (तयोश्छिद्रेविशन्तं ) उन्हीं चन्द्र और सूर्य के बिम्ब में अगर छिद्र दिखे और (भ्रमरोच्चयं ) भ्रमर समूह को प्रवेश करता हुआ देखे तो उसकी आयु चार दिन की है।
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॥ ३६ ॥
भावार्थ- - जब रोगी चन्द्र और सूर्य के बिम्ब में नीला रंग देखे तो अर्थात् नीले रंग का दिखे और भ्रमर समूह को प्रवेश करता हुआ देखे तो उसकी, आयु चार दिन की है ॥ ३६ ॥
प्रज्वलद्वासधूमं
वा मुञ्चद्वा
रुधिरं जालम् । य: पश्येत् बिम्बमाकाशे तस्यायुः स्याद्दिनानि षट् ॥ ३७ ॥
जो कोई रोगी चन्द्र बिम्ब को अथवा सूर्य बिम्ब को ( प्रज्वलद्वासधूमंवा ) जलता हुआ देखे एवं धूम सहित देखे तथा ( मुञ्चद्वारुधिरं जालम् ) रुधिर निकलता हुआ (आकाशेपश्येत् ) आकाश में देखे तो समझो ( तस्यायुः स्याद्दिननिषट्) उसकी आयु छह दिन की है।
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