Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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परिशिष्टाऽध्यायः
भावार्थ--अगर छाया हँसती हुई दिखाई पड़े तो एक महीने की आयु समझो, रोती हुई दिखे तो दो दिन की आयु समझो, दौड़ती हुई छाया दिखे तो तीन दिन की आयु समझो, एक पाद छाया दिखे तो चार दिन की आयु समझो। ६२॥
वर्षद्वयं तु हस्तैका कर्णहीनैकवत्सरम्।
केशहीनैकषण्मासं जानुहीना दिनैकयम् ।। ६३॥ यदि रोगी को अपनी छाया (हस्तैकातुवर्षद्वयं) एक हाथ प्रमाण दिखाई दे तो दो वर्ष जीवेगा, (कर्णहीनैकषण्मासं) कान रहित छाया दिखे तो एक वर्ष जीवेगा, (केश हीनकषण्मासं) केश हीन दिखे तो छह महीने की आयु समझो (जानु हीना दिनैकयम्) जानुरहित दिखे तो एक दिन की आयु समझो।।
भावार्थ-यदि रोगी को अपनी छाया एक हाथ की दिखे तो दो वर्ष की आयु है उससे ज्यादा नहीं जीवेगा, कान से रहित छाया दिखे तो एक वर्ष जीवेगा, केश हीन दिखे तो छह महीने की आयु समझो (जानु) घुटने रहित छाया दिखे तो एक दिन की आयु समझो उससे ज्यादा नहीं जीवेगा ।। ६३ ॥
बाहुसिता समायुक्तं कटिहीना दिनद्वयम्।
दिनाघु शिरसा हीना सा षण्मासमनासिका॥६४॥ (बाहसिता समायुक्तं) सफेद बाह यदि छाया की दिखे और (कटिहीना) कटि हीन दिखे तो (दिन द्वयम्) दो दिन जीवेगा। (शिरसाहीनादिनाध) सिर से हीन छाया दिखे तो आधा दिन जीवेगा, (सा षण्मासनासिका) एवं नासिका हीन दिखे तो छह महीने की आयु समझो।।
भावार्थ- यदि रोगी को सफेद बाहु और कटि हीन छाया दिखे तो दो दिन की आयु समझो सिर से हीन छाया दिखे तो आधा दिन जीवेगा और नासिका नहीं दिखे तो छह महीने जीवेगा, उससे ज्यादा आयु नहीं रहती है।। ६४ ।।
हस्तपादाग्रहीना वा त्रिपक्षं सार्द्धमासकम्। अग्नि स्फुलिङ्गान् मुचन्ति लघुमृत्युं समादिशेत् ।। ६५ ।।