Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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सप्तविंशतितमोऽध्यायः
भावार्थ रेवती नक्षत्र में नये वस्त्र धारण करे तो लोह का जंग लगता है, अश्विनीमें धारण करने से बहुत वस्त्रों की प्राप्ति होती है, भरणी में धारण करने से लोक में मरणतुल्य बार-बार कष्ट होता है।। ११ ॥
शुभग्रहाः फलं दधुः पञ्चाशदिवसेषु तु।
षष्ठ्यहः स्वथवा सर्वे पापा नव दिनान्तरम् ।। १२ ।। (शुभग्रहा: पञ्चादिवसेषु) शुभग्रह पच्चास दिनों में अथवा (षष्ठयह:) साठ दिनों में (स्वथवा सर्वेपापा नव दिनान्तरम्) अथवा नौ दिनों में अशुभ ग्रह (फलं दद्यु:) फल देते हैं।
भावार्थ-शुभ ग्रह पच्चास दिनों में या साठ दिनों में फल देते हैं एवं पाप ग्रह नौ दिनों में फल देते है।। १२ ।।
शुभाशुभे वीक्ष्यतु यो ग्रहाणां गृही सुवस्त्र व्यवहारकारी।
समोदयेऽवाप्य समस्तभोगं निरस्तरोगो व्यसनै विमुक्त: ।। १३ ।। (यो) जो (शुभाशुभे वीक्ष्यतु ग्रहाणां) शुभाशुभ ग्रहों को देखकर (गृही सुवस्त्र व्यवहारकारी) गृहस्थ सुवस्त्रों का व्यवहार करता हैं (समोदयेऽवाप्य समस्तभोगं)
और समस्त भोगों को प्राप्त कर आनन्दित होता है (निरस्त्र रोगो व्यसनैर्विमुक्त:) तथा समस्त रोग और व्यसन से मुक्त होता है।
भावार्थ-जो गृहस्थ ग्रहों के शुभाशुभ को जानकर वस्त्रों में व्यवहार करता है और समस्त भोगों को भोगता हुआ आनन्दित होता है और समस्त रोगों एवं व्यसनों से मुक्त होता है।। १३ ।।
विशेष वर्णन--इस छोटे से अध्याय में आचार्य श्री ने नवीन वस्त्र धारण करने का नक्षत्रएवं वार और उसका फल निर्देश किया है।
कौन से नक्षत्र में नया वस्त्र धारण करने पर क्या फल होता है शुभाशुभ का विचार करना चाहिये नक्षत्र २७ होते हैं उसी प्रकार नक्षत्रानुसार फल होता है बहुत-से नक्षत्रोंमें नवीन वस्त्र धारण करने पर अनिष्ट की सूचना मिलती है और
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