Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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सप्तविंशतितमोऽध्यायः
होता है (लोकेतू) लोक में (तरभाद्रपदाशुभा ) उत्तराभाद्रपद जाय तो शुभ (वस्त्रदासंस्मृता) सरों को प्रदान लाने वाला है।
भावार्थ — पूर्वाफाल्गुनीमें नवीन वस्त्र धारण करनेसे शुभ है उत्तरा फाल्गुनी में वस्त्र धारण करने से राज्य की प्राप्ति होती है लोकमें उत्तराभाद्रपद में नवीन वस्त्र धारण करने से शुभ है और वस्त्र प्राप्त कराने वाला है ।। ५-६ ॥
हस्ते च ध्रुवकर्माणि
चित्रास्वाभरणं शुभम् । मिष्ठान्नं लभ्यते स्वातौ विशाखा प्रियदर्शिका ॥ ७ ॥
वस्त्र धारण किया
(हस्ते च ध्रुव कर्माणि) हस्त नक्षत्र में नवीन वस्त्र धारण करने से कोई स्थिर कार्य होता है ( चित्रास्वाभरणं शुभम् ) चित्रा नक्षत्र में वस्त्राभरण को धारण करने से शुभ होता है (स्वातौ मिष्ठान्नं लभ्यते ) स्वाति नक्षत्र में मिष्ठान्न की प्राप्ति होती है। (विशाखा प्रियदर्शिका ) विशाखा नक्षत्रमें नये वस्त्र धारण करने से प्रिय का समागम होता है ।
भावार्थ — नवीन वस्त्र यदि हस्त नक्षत्र में धारण किया जाय तो शुभ है कोई स्थिर कार्य करना चाहिये। चित्रा नक्षत्र में नवीन वस्त्र धारण करने से शुभ है स्वाति में वस्त्रधारण करने से मिष्ठान्न की प्राप्ति होती है विशाखा में धारण करने से प्रिय का दर्शन होता है । ॥ ७ ॥
अनुराधावस्त्रदात्री
मरणाय
ज्येष्ठा
हानि
वस्त्रविनाशिनी ।
कारणलक्षणा ॥ ८ ॥
तथैवोक्ता
(अनुराधा वस्त्रदात्री) अनुराधा में वस्त्र धारण करने से वस्त्र मिलते हैं (ज्येष्ठा वस्त्रविनाशिनी ) ज्येष्ठा में वस्त्र धारण करने से वस्त्रों का नाश होता है ( मरणाय तथैवोक्ता ) मरण को करने वाला कहा गया है ( हानिकारण लक्षणा ) और हानि कारक है।
भावार्थ – अनुराधा में वस्त्र धारण करने से वस्त्र मिलते है ज्येष्ठा में धारण करे तो वस्त्रों का विनाश होगा, मरण होगा, हानिकारक होगा ॥ ८ ॥