Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
वीणा — स्वप्न में अपने द्वारा वीणा बजाना देखने से पुत्र प्राप्ति; दूसरों के द्वारा वीणा बजाना देखने मृत्यु या मृत्यु तुल्य पीड़ा होती है।
श्रृंग - स्वप्न में भृंग और नखवाले पशुओंको मारने के लिए दौड़ना देखने से राज्य भय और मारते हुए देखने से रोग होता है।
स्त्री — स्वप्नमें श्वेतवस्त्र परिहिता; हाथोंमें श्वेत पुष्प या माला धारण करनेवाली एवं सुन्दर आभूषणोंसे सुशोभित स्त्रीके देखने तथा आलिंगन करने से धनप्राप्ति; रोग मुक्ति होती है। पर स्त्रियोंका लाभ होना अथवा आलिंगन करना देखने से शुभ फल होता है । पीतवस्त्र परिहिता; पीत पुष्प या पीत माला धारण करनेवाली स्त्रीको स्वप्न में देखने से कल्याणः समवस्त्र परिहिता मुक्तकेशी और कृष्ण वर्णके दाँतवाली स्त्रीका दर्शन या आलिंगन करना देखने से छः मासके भीतर मृत्यु और कृष्ण वर्णवाली पापिनी आचारविहीना लम्बकेशी लम्बे स्तनवाली और मैले वस्त्र परिहिता स्त्रीका दर्शन और आलिंगन करना देखने से शीघ्र मृत्यु होती है ।
तिथियों के अनुसार स्वप्न का फल
शुक्लपक्ष की प्रतिपदा — इस तिथि में स्वप्न देखने पर विलम्ब से फल मिलता है।
शुक्लपक्ष की द्वितीया - इस तिथि को स्वप्न देखने पर विपरीत फल होता है। अपने लिए देखने से दूसरों को और दूसरों के लिए देखने से अपने को फल मिलता है।
शुक्लपक्ष की तृतीया — इस तिथि में भी स्वप्न देखने से विपरीत फल मिलता है। पर फलकी प्राप्ति विलम्बसे होती है।
शुक्लपक्ष की चतुर्थी और पंचमी-इन तिथियों में स्वप्न देखने पर दो महीने से लेकर दो वर्ष तक के भीतर फल मिलता है। शुक्लपक्ष की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी - इन तिथियों में स्वप्न देखने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है तथा स्वप्न सत्य निकलता है।
शुक्लपक्ष की एकादशी और द्वादशी — इन तिथियों में स्वप्न देखने से विलम्ब से फल होता है।
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