Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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विंशतितमोऽध्यायः
में दिखने लगते है, और समान रूप से आकाश में बादल, वायु और उल्का भी दिखती हैं ॥ १० ॥
सन्ध्यायां तु यदा शीतं अपरे सासनं ततः । सूर्य: पाण्डुश्चला भूमिस्तदा ज्ञेयो ग्रहागमः ।। ११ ॥
( यदा) जब ( सन्ध्यायां तु शीतं ) सन्ध्याकाल में शीत हो ( अपरे सासनं ततः) व अन्य समय में उष्ण हो (सूर्या: पाण्डुश्चलाभूमि:) सूर्यपाण्डु वर्ण का हो, भूमि चलायमान हो ( तदा ज्ञेयो ग्रहागमः ) तब समझो राहुग्रह का आगमन होने वाला है ।
भावार्थ-राहु ग्रह के आगमन पर सन्ध्या काल में शीत, अन्य समय में उष्णता, सूर्य पाण्डुवर्ण का, और भूमि चलायमान होती है ॥ ११ ॥
सरांसि सरितो वृक्षा वल्ल्यो गुल्म लतावनम् । सौम्यप्रांश्चवले वृक्षा राहोर्ज्ञेयस्तदाऽऽगमः ॥ १२ ॥
( सरांसि सरितो वृक्षा) तालाब, नदी, वृक्ष (वल्ल्यो गुल्म लतावनम् ) वल्ली, गुल्म, लता, वन (सौम्यभ्रांश्चवले वृक्षा) सौम्य आकाश के होने पर भी वृक्ष चंचल हो ( तदाऽऽगम: राहोर्ज्ञेयः ) तब राहु का आगमन जानना चाहिये ।
भावार्थ-सरोवर, नदिया, वृक्ष, वल्ली, गुल्म, लता, वन, शान्त आकाश में भी अगर चंचल दिखे तो समझो राहु ग्रह का आगमन होने वाला है ॥ १२ ॥ सिताम्बरा ।
ध्रुवम् ॥ १३ ॥
छादयेच्चन्द्र सूर्यौ च यदा मेघा सन्ध्यायां च तदा ज्ञेयं राहोरागमनं
( यदा) जब ( सन्ध्यायां) संध्याकाल में (मेघा ) बादल ( सिताम्बरा ) शीघ्र ही (चन्द्रसूर्यौ च छादयेत्) चन्द्रमा सूर्य को आच्छादित कर दे तो (तदा) तब (ध्रुवम्) निश्चय से ( राहोरागमनं ज्ञेयं) राहु का आगमन समझना चाहिये ।
भावार्थ — जब सन्ध्याकाल में बादल शीघ्र ही सूर्य या चन्द्र को आच्छादित करे तो समझो निश्चय से राहुग्रह का आगमन होगा ॥ १३ ॥