Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता |
नक्षत्रमें शनि वक्री हो तो एक वर्ष तक पीड़ा; धान्य और चौपायोंका मूल्य बढ़ जाता है। मघा पर वक्री होकर आश्लेषा पर जब गुरु आता है तो गेहूँ, घृत, शाल, प्रबाल तेज होते हैं। ज्येष्ठा पर वक्री होकर अनुराधा पर शनि आता है तो सब वस्तुएं तेज होती हैं। उत्तराषाढ़ा पर वक्री होकर पूर्वाषाढ़ा पर आता है तो सभी वस्तुओंमें अत्यधिक घटा-बढ़ी होती है। गुरु और शनि दोनों एक साथ वक्री हों तो और शनि १०।११ राशि का हो तो गेहूँ, तिल, तेल आदि पदार्थ ९ महीने तक तेज होते हैं। शनिके वक्री होनेके तीन महीने उपरान्त गेहूँ, चावल, मूंग, ज्वार, धान्य, खजूर, जायफल, घी, हल्दी, नील, धनियाँ, जीरा, मेंथी, अफीम, घोड़ा आदि पदार्थ तेज और सोना, चाँदी, मणि, माणिक्य आदि पदार्थ मन्दे एवं नारियल, सुपाड़ी, लवंग, तिल, तेल आदि पदाम घटा-बढ़ी होती रहती है। शनि मार्गी हो तो दो मासमें तेल, हींग, मिर्च, मशाले तेज और अफीम, रूई, सूत, वस्त्र आदि पदार्थों को मन्द करता है। शनि कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य और आश्लेषा नक्षत्र में वक्री हो तो सभी वस्तुएं महंगी होती है।
• तेजी-मन्दीके लिए उपयोगी पंचवारका फल-जिस महीनेमें पाँच रविवार हों उस महीनेमें राज्यभय, महामारी, अलसी-सोना आदि पदार्थ तेज होते हैं। किसी भी महीने में पाँच सोमवार होनेसे सम्पूर्ण पदार्थ मन्दे, घृत-तेल-धान्य के भाव मन्दे रहते हैं। पाँच मंगलवार होनेसे अग्नि-भय, वर्षाका निरोध, अफीम मन्दा तथा धान्यभाव घटता-बढ़ता रहता है। पाँच बुधवार होनेसे घी, गुड़, खाण्ड आदि रस तेज होते हैं; रूई चाँदी घट-बढ़कर अन्तमें तेज होती है। पाँच गुरुवार होनेसे सोना, पीतल, सूत, कपड़ा, चावल, चीनी आदि पदार्थ मन्द होते हैं। पाँच शुक्रवार होनेसे प्रजाकी वृद्धि, धान्य मन्दा, लोग सुखी तथा अन्य भोग्य पदार्थ सस्ते होते हैं। पाँच शनिवार होने से उपद्रव, अग्निभय, अफीम की मन्दी, धान्यभाव अस्थिर और तेल महँगा होता है। लोहे का भाव पाँच शनिवार होने से महँगा तथा अस्त्र-शस्त्र, मशीन के कल-पुर्जी का भाव पाँच मंगल और पाँच गुरु होने से महँगा होता है।
संक्रान्ति के वारो का फल-विवारको संक्रान्तिका प्रवेश हो तो राजविग्रह, अनाज महंगा, तेल, घी आदि पदार्थों का संग्रह करनेसे लाभ होता है। सोमवारको संक्रान्ति प्रवेश हो तो अनाज महँगा, प्रजाको सुख; घृत, तेल, गुड़, चीनी आदि