Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता |
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के व्यक्तियों के लिए भी पर्याप्त कष्ट होता है। नाना प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं तथा अर्थिक संकट भी उनके सामने प्रस्तुत रहता है। यदि इसी राशि पर सूर्यग्रहण भी हो तो क्षत्रियोंको कष्ट होता है। सैनिक तथा अस्त्रसे व्यवसाय करनेवाले व्यक्तियोंको पीड़ा होती है। चोर और डाकुओं के लिए अत्यन्त भय होता है। सिंहराशि के ग्रहण में वनवासी दुःखी होते हैं, राजा और साहूकारों का धन क्षय होता है। कृषकों को भी मानसिक चिन्ताएं रहती हैं। फसल अच्छी नहीं होती तथा फसल में नाना प्रकार के रोग लग जाते हैं। टिड्डी, मूसोंका भय अधिक रहता है। कठोर कार्यों से आजीविका अर्जन करने वालों को लाभ होता है। व्यवसायियों को हानि उठानी पड़ती है। कन्याराशिके गृहण में शिल्पियों, कवियों, साहित्यकारों, गायकों एवं अन्य ललित कलाकारोंको पर्याप्त कष्ट रहता है। आर्थिक संकट रहने से उक्त प्रकार के व्यवसायियोंको कष्ट होता है। छोटे-छोटे दुकानदारों को भी अनेक प्रकार के कष्ट होते हैं। बंगाल, आसाम, बिहार, पंजाब, उत्तरप्रदेश, बम्बई, दिल्ली, मद्रास
और मध्यप्रदेश में फसल साधारण होती है। आसाम में अन्न की कमी रहती है तथा पंजाब में भी अन्नका भाव महँगा रहता है। यदि कन्या राशि पर चन्द्रग्रहण के साथ सूर्यग्रहण भी हो तो बर्मा, लंका, चीन और जापान में भी अन्न की कमी पड़ जाती है। वस्त्र के व्यापार में अधिक लाभ होता है। जूट, सन, रेशम, कपास, रुई और पाट के भाव ग्रहणों के दो महीने के पश्चात् अधिक बढ़ जाते हैं। मिट्टीका तेल, पेट्रोल, कोयला आदि पदार्थों की कमी पड़ जाती है। यदि कन्याराशि के चन्द्रग्रहण पर मंगल या शनि की दृष्टि हो तो अनाजों की और अधिक कमी पड़ जाती है। तुला राशि पर चन्द्रग्रहण हो तो साधारण जनता में असन्तोष होता है। गेहूँ, गुड़, चीनी, घी और तेलका भाव तेज होता है। व्यापारियोंके लिए यह ग्रहण अच्छा होता है, उन्हें व्यापार में अच्छा लाभ होता है। पंजाब, ट्राबंकोर कोचीन, मलावार को छोड़कर अवशेष भारत में अच्छी वर्षा होती है। इन प्रदेशों में फसल भी अच्छी नहीं होती है। मवेशी को कष्ट होता है तथा बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियोंको अनेक प्रकारकी बीमारियोंका सामना करना पड़ता है। घी, गुड़, चीनी, कालीमिर्च, पीपल, लौंग, धनिया, हल्दी आदि पदार्थोंका भाव भी महंगा होता है। लोहेके व्यवसायियों को दूना लाभ होता है। सोना और चाँदीके व्यापार में साधारण लाभ होता है। ताँबा और पीपलके भाव अधिक तेज होते हैं। अस्त्र-शस्त्र