Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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कारक होता है, इन प्रदेशों में अन्न का अभाव बहुत रहता है। पूर्वीय प्रदेश याने बिहार, बंगाल, आसाम, पूर्वीय पाकिस्तान में वर्षा की कमी तो नहीं रहती किन्तु फसल अच्छी नहीं होती है।
उक्त प्रदेश में राजनैतिक उलट फेर होता रहता है। हैजादिक बीमारियां फैलती है देश के प्रत्येक भाग में घरेलू युद्ध होते रहते हैं, पंजाब की स्थिति बिगड़ जाती है वहाँ शान्ति स्थापन होने में कठिनाई पड़ती है।
इत्यादि ग्रह युद्धों का वर्णन संक्षेप में किया, आगे जो भी विषय है उसे अध्याय में देखकर जानना चाहिये।
विवेचन-ग्रहयुद्धके चार भेद हैं-भेद, उल्लेख, अंशुमर्दन और अपसव्य। भेदयुद्धमें वर्षाका नाश, सुहृद् और कुलीनोंमें भेद होता है। उल्लेख युद्धमें शस्त्रभय, मन्त्रिविरोध और दुर्भिक्ष होता है। अंशुमर्दन युद्ध में राजाओंमें युद्ध, शस्त्र, रोग, भूख से पीड़ा और अबमर्दन होता है तथा अपसव्य युद्धमें राजागण युद्ध करते हैं। सूर्य दोपहरमें आक्रन्द होता है, पूर्वाह्नमें पौरग्रह तथा अपराह्न तथा अपराह्नमें यायिग्रह आक्रन्द संज्ञक होते हैं, बुद्ध, गुरु और शनि ये सदा पौर है। चन्द्रमा नित्य आक्रन्द है। केतु मंगल राहु और शुक्र यायि है। इन ग्रहों के हत होने से आक्रन्द यायि
और पौर क्रमानुसार नाश को प्राप्त होते हैं। जयी होनेपर स्व वर्ग को जय प्राप्त होता है। पौरग्रहसे पौरग्रह के टकरानेपर पुरवासीगण और पौर राजाओंका नाश होता है। इस प्रकार यायि और आक्रान्दग्रह या पौर और यायिग्रह परस्पर हत होने पर अपने-अपने अधिकारियोंको कष्ट करते हैं। जो ग्रह दक्षिण दिशामें रूखा, कम्पायमान, टेढ़ा, क्षुद्र और किसी ग्रहसे ढंका हुआ, विकराल, प्रभाहीन और विवर्ण दिखलाई पड़ता है, वह पराजित कहलाता है। इससे विपरीत लक्षणवाला ग्रह जयी कहलाता है। वर्षाकालमें सूर्यसे आगे मंगलके रहनेसे अनावृष्टि, शुक्रके आगे रहने से वर्षा, गुरुके आगे रहने से गर्मी और बुधके आगे रहनेसे वायु चलती है। सूर्य-मंगल, शनि-मंगल और गुरु-मंगलके संयोगसे अवर्षा होती है। बुध-शुक्र और गुरु-बुधका योग अवश्य वर्षा करता है। क्रूर ग्रहोंसे अदृष्ट और अयुत बुध और शुक्र एक राशिमें स्थित हों और यदि उन्हें बृहस्पति भी देखता हो तो वे अधिक महावृष्टिके देनेवाला होते हैं। क्रूर ग्रहोंसे अदृष्ट और अयुत (भिन्न) बुध और बृहस्पति एक