Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
भद्रबाहु संहिता
६७८
भावार्थ-जब उक्त ग्रह उत्तर में गमन करे तो तब वहाँ पर धान्य और गायें महँगी हो जाती है॥ २०॥
उत्तरेण तु पुष्यस्य यदा पुष्यति चन्द्रमाः। भौमस्य दक्षिणे पार्वे मघासु यदि तिष्ठति॥२१॥ मालदा मालं वैदेहा यौधेयाः संज्ञनायकाः।
सुवर्ण रजतं वस्त्रं मणिर्मुक्ता तथा प्रियम्॥२२॥ (यदा) जब (चन्द्रमां) चन्द्रमा (उत्तरेण) उत्तर से (पुष्यस्य) पुष्य का (पुष्यति) भोग करता है (मघाम) मघामें (यदि तिष्ठति) यदि ठहरता है (भौमस्य दक्षिणे पार्वे) मंगल के दक्षिण पार्श्व में रहता है (मालदा मालं) तब काली मिर्च, नमक (वैदेहा यौधेया: संज्ञनायकाः) वैदेह, योधेय, संज्ञनायक (सुवर्ण रजतं वस्त्र) सुवर्ण, चाँदी, वस्त्र (मणिर्मुक्ता तथा प्रियम्) मणि, मुक्ता, तथा खाने के मसाले महंगे होंगे।
भावार्थ-चन्द्रमा जब उत्तर से पुष्य नक्षत्र का भोग करता हुआ मध्य नक्षत्र में रहकर मंगल का दक्षिण में भोग करे तो काली मिर्च, नमक, सोना, चाँदी, मणि, रत्न, मुक्ता और खाने के मसाले आदि महंगे होंगे।। २१-२२।।
चन्द्रः शुक्रो गुरु मो मघानां यदि दक्षिणे।
वस्त्रं च द्रोणमेषं च निर्दिशेन्नात्र संशयः॥२३॥ (चन्द्रः शुक्रो गुरु भीमो) चन्द्र, शुक्र, गुरु, मंगल (यदि) यदि (मघानां दक्षिणे) मघा के दक्षिण में गमन करे तो (वस्त्रं च द्रोणमेधं च) वस्त्र महंगे होते हैं तथा मेघ द्रोण प्रमाण वर्षा करते हैं (निर्दिशेन्नात्रसंशयः) ऐसा निर्देश किया गया है इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ-जब चन्द्र, शुक्र, गुरु और मंगल यदि मघा के दक्षिण से गमन करे तो वस्त्र महँगे होते है और एक द्रोण प्रमाण वर्षा होती है इसमें सन्देह नहीं हैं।। २३॥