Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पञ्चविंशतितमोऽध्यायः
आचार्य श्री तेजी मन्दी जानने के अनेक उपाय बताये हैं, ग्रहों की स्थिति उनका मार्ग होना या वक्री होना तथा उनको ध्रुव पर से तेजी मन्दी का ज्ञान करना आदि प्रक्रियाएँ प्रचलित हैं।
बारह महीनों की तिथि, वार, नक्षत्र के सम्बन्ध में भी तेजी, मन्दी का विचार वर्ष प्रबोध नामक ग्रन्थ में विस्तार से किया गया है।
तेजी मन्दी को जानने के लिये बारहपूर्णमाप्सियों पर विचार करे। भौम ग्रह की स्थिति के अनुसार विचार करे इसी तरह गुरु आदि ग्रहों के अनुसार अवश्य विचार करे।
पंचवारों के अनुसार भी तेजी मन्दी ज्ञात होती है। संक्रान्ति के अनुसार भी जानकर तेजी मन्दी को कहे।
उदाहरण-संक्रान्ति का जिस दिन प्रवेश हो उस दिन जो नक्षत्र हो उसकी संख्या में तिथि और वार की संख्या जो उस दिन की हो उसे मिला देना चाहिये। इसमें जिस अनाज की तेजी मन्दी जाननी हो उसके नाम के अक्षर की संख्या मिला दे जो योग फल हो उसमें तीन का भाग देने से एक शेष बचे तो वह अनाज उस संक्रान्ति के मासमें मन्दा बिकेगा। दो शेष बचे तो समान भाव रहेगा, शून्य बचे तो अनाज महँगा होगा। आगे डॉ. नेमीचन्द जी आरा वालों ने बहुत परिश्रम करके इस विषय पर विशेष प्रभाव डाला है तेजी मन्दी जानने वाले यह विवेचन अवश्य देखे इसको देखने पर भद्रबाहु स्वामी का विचार पूर्ण रूप से समझ में आ जायगा, वैसे मैंने बहुत कुछ खुलासा किया है। तेजी मन्दी को जानने के लिये व्यवसायी लोग तेजी-मन्दी निकालने की जो रीति, नीति, क्रम, गुणित आदि बताया है उस के अनुसार उस कम को जानकर तेजी-मन्दी निकाले, अवश्य लाभ होगा। लेकिन पूरा इस विषय का विशेषज्ञ होना चाहिये, जानकारी के बिना चक्कर में पड़ गया तो हानि उठानी पड़ती है। इत्यादि।
विवेचन तेजी-मन्दी जाननेके अनेक नियम हैं। ग्रहोंकी स्थिति, उनका मार्गी होना या वक्री होना तथा उनकी ध्रुवओं परसे तेजी-मन्दका ज्ञान करना, आदि प्रक्रियाएँ प्रचलित हैं। इस संहिता ग्रन्थमें ग्रहोंकी स्थिति परसे वस्तुओं की तेजी-मन्दीका साधारण विचार किया गया है। बारह महीनों की तिथि, वार, नक्षत्रके सम्बन्धमें