Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
६२०
मूल
अमृतकेतु-जल, भट, पद्य, आवर्त्त, कुमुद, मणि और संवर्त ये सात केतु प्रकृति से ही अगतोलन मागे जाते हैं।
दुष्ट केतु फल-जो दुष्ट केतु हैं वे क्रम से अश्विनी आदि २९ नक्षत्रों में गये हुए निम्नलिखित देशोंके नरेशोंका नाश करते हैं।
२९ नक्षत्रों के अनुसार दुष्ट केतुओंका घातक फल नक्षत्र | देश
| नक्षत्र । देश अश्विनी | अश्मक देश घातकस्वाति । कम्बोज (कश्मीर) का
घातक भरणी किरात-भीलोंका घातक
| विशाखा
अवधका घातक कृत्तिका | | उड़ीसा प्रदेशका घातक अनुराधा पुण्ड्र (मिथिलाके समीपका
प्रान्त) रोहिणी शूरसेनका घातक
ज्येष्ठा कान्यकुब्ज (कन्नौज) का घातक मृगशिर उशीनर (गान्धार)
मद्रक तथा आन्ध्र आर्द्रा जलजा जीव (तिरहुत प्रान्त) | पूर्वाषाढ़ा काशीका घातक पुनर्वसु अश्मकका घातक
उत्तराषाढ़ा अर्जुनायक, यौधेय, शिविएवं
चेदि मग्ध का घातक
श्रवण कैकेय (सतलजके पीछे) और आश्लेषा असिक का घातक
व्यासके आगेका का प्रान्त मघा अंग (वैद्यनाथसे भुवनेश्वरतक)| धनिष्ठा पंचनद (पंजाब) का घातक
शतभिषा सिंहल (सीलोन) पूर्वाफाल्गुनी| पाण्ड्य (देहली प्रान्त) का पूर्वा भा० | बंग (बंगाल प्रान्त)
घातक उत्तरा फा० अवन्ति (उज्जैन प्रान्त) का उत्तरा भा० | नैमिष
घातक दण्डक (नासिका पंचवटी) का रेवती | किरात (भूटान और आसाम के
। घातक चित्रा कुरुक्षेत्र प्रदेशका घातक
पूर्व के प्रान्त)
पुण्य
हस्त