Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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प्रयोविंशतितमोऽध्यायः
बारह राशियों के अनुसार भी चन्द्रमा का फल होता हैं मेष राशि में चन्द्रमा के होने पर धान्य महँगा होता है।
___ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष को प्रतिपदा को सूर्यास्त समय में ही चन्द्रमा दिखे तो पूरे वर्ष में सुभिक्ष होता है।
चन्द्रमा भृग उत्तरा की ओर हो तो सुभिक्ष दक्षिण की तरफ हो तो दुर्भिक्ष होता है मध्य में हो तो मध्यम फल होता है। ये सब चन्द्रमा के शुभाशुभ फल है, इसका जब संचार होगा तब उसका फल भी होता है। चन्द्रमा के संचारानु शुभाशुभ को जान लेना चाहिये। इसी तरह चन्द्रमा के संचार को कहा।
इस विषय में डॉक्टर साहब का भी मन्तव्य जान लेना चाहिये।
विवेचन ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा और उत्तरषाढ़ा नक्षत्र के दाहिने भाग में जमा हो तो नील, जा और रन की हानि होती है। अग्निभय विशेष उत्पन्न होता है। जब विशाखा और अनुराधा नक्षत्र के दायें भाग में चन्द्रमा रहता है तब पाप चन्द्रमा कहलाता है। पाप चन्द्रमा जगत् में भय उत्पन्न करता है, परन्तु विशाखा, अनुराधा और मघा नक्षत्र के मध्य भाग में चन्द्रमा के रहने से शुभ फल होता है। रेवती से लेकर मृगशिरा तक छ: नक्षत्र अनागत होकर मिलते हैं, आर्द्रा लेकर अनुराधा तक बारह नक्षत्र मध्य भाग में चन्द्रमा के साथ मिलते हैं, तथा ज्येष्ठा से लेकर उत्तरा भाद्रपद तक नौ नक्षत्र अतिक्रान्त होकर चन्द्रमा के साथ मिलते हैं। यदि चन्द्रमा का शृङ्ग कुछ ऊँचा होकर नावके समान विशालता को प्राप्त करे तो नाविकों को कष्ट होता है। आधे उठे हुए चन्द्रमा शृङ्ग को लांगल कहते हैं, उससे हलजीवी मनुष्यों को पीड़ा होती है। प्रबन्धकों, शासकों और नेताओं में परस्पर मैत्री सम्बन्ध बढ़ता है तथा देश में सुभिक्ष होता है। चन्द्रमा का दक्षिण शृङ्ग आधा उठा हुआ हो तो उसे दुष्ट लांगल शृंङ्ग कहते हैं, इसका फल पाण्ड्य, चेर, चोल, आदि राज्यों में पारस्परिक अनैक्य होता है। इस प्रकार के शृंग के दर्शन से वर्षाऋतु में जलाभाव होता है तथा ग्रीष्म ऋतु में सन्ताप होता है। यदि समान भाव से चन्द्रमा का उदय हो तो पहले दिन की तरह सर्वत्र सुभिक्ष, आनन्द, आमोद-प्रमोद, वर्षा, हर्ष आदि होती हैं। दण्ड के समान चन्द्रमा के उदय होनेपर गाय, बैलों को पीड़ा होती है और राजा लोग उग्र दण्डधारी होते हैं। यदि धनुष के आकार का चन्द्रमा उदय हो तो युद्ध होता है, परन्तु जिस ओर उस धनुष की मौर्वी रहती