Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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भावार्थ-जिस व्यक्ति के नक्षत्र पर लाल वर्ण का सूर्य दिखाई पड़े तो उस पुरुष को महान् पीड़ा होती है। बहुत प्रयत्न करने पर पीडा शान्त होती है, कल्याण होता है ।। १४॥
स्थालीपिठरसंस्थाने सुभिक्षं वित्तदं नृणाम्।
वित्तलाभस्तु राज्यस्य मृत्युः पिठरसंस्थिते॥१५॥ (स्थालीपिठरसंस्थाने) यदि सूर्योदय समय में सूर्य गोल थाली के समान संस्थान वाला दिखे तो (सुभिक्षं) सुभिक्ष करता है (वित्तदं नृणाम्) मनुष्यों को धन बढ़ाता है (राज्यस्य वित्तलाभस्य) राजा को धन की प्राप्ति होती है। (मृत्युः पिठर संस्थिते) पीठा के समान सूर्य दिखे तो मृत्यु होती है।
भावार्थ-यदि सूर्योदय समय में सूर्य थाली के आकार दिखे तो सुभिक्ष करता है मनुष्यों को धन बढ़ाता है, राजा के धन की वृद्धि होती है। और वही सूर्य पीढ़ा के समान दिखे तो मृत्यु करता है।। १५॥ ।
सुवर्णवर्णों वर्ष वा मासं वा रजतप्रभे।
शस्त्रं शोणित्तवत् सूर्योदाघो वैश्वानर प्रभे॥१६॥ (सुवर्ण वर्णों वर्षं वा) यदि सूर्योदय समय में सूर्य सुवर्ण वर्ण का दिखाई पड़े, व (मांस वा रजतप्रभे) चाँदी के समान दिखायी पड़े, तो वर्ष या मास सुखपूर्वक व्यतीत होता है (शोणितवत् सूर्यो शस्त्र) लाल रंग का सूर्य दिखे तो शस्त्र पीड़ा होती है। (दाघो वैश्वानर प्रभे) और अग्नि के समान दिखाई पड़े तो दग्ध करता
भावार्थ-जब सूर्य उदय काल में सुवर्ण वर्ण का दिखे तो एक वर्ष तक सुखमय समय व्यतीत होता है। और चाँदी के समान दिखे तो एक महीने तक समय सुख से जाता है। लाल दिखे तो शस्त्रपीड़ा और अग्नि के समान दिखे तो जलता है।। १६॥
शृङ्गी राज्ञां विजयदः कोश वाहनवृद्धये।
चित्र: सस्यविनाशाय भयाय च रविः स्मृतः॥१७॥ (शृङ्गी राज्ञां विजयदः) शृंगी वर्ण का सूर्य राजा को विजय देने वाला और