Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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विंशतितमोऽध्यायः
तथा मशीनोंका मूल्य भी बढ़ता है। वृश्चिकराशि पर चन्द्रग्रहण हो तो सभी वर्णके व्यक्तियों को कष्ट होता है। पंजाब निवासियोंको हैजा और चेचक, प्रकोप अधिक होता है। बंगाल, बिहार और आसाम में विषैले ज्वरके कारण सहस्रों व्यक्तियोंकी मृत्यु होती है। सोना, चाँदी मोती, माणिक्य, हीरा, गोमेद, नीलम आदि रत्नोंके सिवा साधारण पाषाण, सीमेण्ट और चूनाके भाव भी तेज होते हैं। घी, गुड़ और चीनीका भाव सस्ता होता है। यदि वृश्चिक राशिपर चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण दोनों हो तो वर्षाकी कमी रहती है। फसल भी सम्यक् रूप से नहीं होती है, जिससे अन्नकी कमी पड़ती है। धनुराशिपर चन्द्रग्रहण हो तो वैद्य, डॉक्टर, व्यापारी, घोड़ो एवं यवनोंको शारीरिक कष्ट होता है। धनुराशिके ग्रहण में देश में अर्थसंकट व्याप्त होता है, फसल उत्तम नहीं होती है। खनिज पदार्थ, वन और अन्न सभीकी कमी रहती है। फल और तरकारियोंकी भी क्षति होती है। यदि इसी राशिपर सूर्यग्रहण हो और शनि से दृष्ट हो तो अटक से २.८८. सक तथा हिमाल से कन्याकुमारी तक के देशों में आर्थिक संकट रहता है। राजनीति में भी उथल-पुथल होते हैं। कई राज्योंके मन्त्रिमण्डलों में परिवर्तन होता है। मकर राशि पर चन्द्रग्रहण हो तो नट, मन्त्रवादी, कवि, लेखक और छोटे-छोटे व्यापारियोंको शारीरिक कष्ट होता है। कुम्भराशिपर ग्रहण होने से अमीरोंको कष्ट तथा पहाड़ी व्यक्तियोंको अनेक प्रकारके कष्ट होते हैं। आसाम में भूकम्प भी होता है। अग्निभय, शस्त्रभय और चोरभय समस्त देशको विपन्न रखता है। मीनराशिपर चन्द्रग्रहण होने से जलन्तु, जलसे आजीविका करने वाले, नाविक एवं अन्य इसी प्रकार के व्यक्तियोंको पीड़ा होती है।
नक्षत्रानुसार चन्द्रग्रहण का फल-अश्विनी नक्षत्र में चन्द्रग्रहण हो तो दालवाले अनाज मूंग, उड़द, चना, अरहर आदि महंगे; भरणी में ग्रहण हो तो श्वेत वस्त्रोंके तीन मास में लाभ, कपास, रुई, सूत, जूट, सन, पाट आदि में चार महीनों में लाभ और कृत्तिका में हो तो सुवर्ण, चाँदी प्रवाल, मुक्ता, माणिक्य में लाभ होता है। उक्त दिनोंके नक्षत्रों में ग्रहण होने से वर्षा साधारणत: अच्छी होती है। खण्डवृष्टिके कारण किसी प्रदेश में वर्षा अच्छी और किसी में कम होती है। रोहिणी नक्षत्र में ग्रहण होनेपर कपास, रुई, जूट, और पाटके संग्रह में लाभ; मृगशिर नक्षत्र में ग्रहण हो तो लाख, रंग एवं क्षार पदार्थों में लाभ; आर्द्रा में ग्रहण हो