Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
भद्रबाहु संहिता
पाँच वर्ष तक रहता है । (सूर्यद्वादशवार्षिकम् ) और सूर्यग्रहण के बाद बारह वर्ष तक ( विग्रहं तु परं विन्द्यात्) महान् संकट रहता है।
भावार्थ — चन्द्र ग्रहण के बाद पाँच वर्ष संकट रहता है, और सूर्य ग्रहण के बाद बारह वर्ष संकट के रहते हैं ॥ ७॥
यदाप्रतिपदिचंद्रः प्रकृत्या
विकृतो
भवेत् । अथ भिन्नो विवर्णों वा तदा ज्ञेयो ग्रहागमः ॥ ८ ॥
५७०
( यदा प्रतिपदिचंद्र : ) जब प्रतिपदा को चन्द्र ( प्रकृत्याविकृतो भवेत् ) प्रकृति से विकृत हो जाता है तो (अथभिन्नो विवर्णो वा) अथवा भिन्न रूप से विवर्ण हो जाय तो समझो ( तदा ग्रहागमः ज्ञेयो ) तब ग्रह का आगमन होने वाला है |
भावार्थ — जब पतिपदा को चन्द्र प्रकृति से विकृत होता हुआ दिखे तो अथवा भिन्न वर्ण का होता हुआ दिखे तो समझो अब ग्रह का आगमन होने वाला है ॥ ८ ॥
लिखेद् रश्मिभिर्भूयो वा यदाऽऽच्छाद्येत भास्करः । पूर्वकाले च संध्यायां ज्ञेयो राहोस्तदागमः ॥ ९ ॥
( यदा) जब ( भास्करः रश्मिभिः) सूर्य की किरणें (लिखेद्) स्पर्श करती (भूयो वा यदाऽऽच्छाद्येत्) पूर्वकाल संध्या में तो (ज्ञेयो) समझो ( तदा राहो: आगम: ) तब राहु का आगमन होने वाला है !
भावार्थ- जब सूर्य की किरणों का पूर्वकाल में स्पर्श हो व आच्छादन हो तो समझो राहु का आगमन होने वाला है ॥ ९ ॥
पिशाचानां
सर्वतोऽपरदक्षिणम् । पशु-व्याल तुल्यान्यभ्राणि वातोल्के यदा राहोस्तदाऽऽगमः ॥ १० ॥
(पशु - व्याल पिशाचानां ) पशु, व्याल, पिशाच ( सर्वतोऽपरदक्षिणम्) सब तरफ
से दक्षिण में दिखने लगे ( तुल्यान्यभ्राणि वातोल्के) समान वात, मेघ, उल्कापात भी होता है तो समझो ( यदा राहोस्तदाऽऽगमः ) राहु का आगमन होने वाला है।
भावार्थ-राहु के आगमन होने पर पशु, व्याल, पिशाचा सब तरफ दक्षिण
|