Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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विंशतितमोऽध्यायः
( यदा) जब ( उदयास्तमने भूयो ) उदय व अस्त काल में (यश्चोदयो रवौ ) उदय या अस्त काल में पुनः पुनः सूर्य या ( इन्द्रो वा यदि दृश्येत ) चन्द्रमा दिखे तो ( तदा ज्ञेयो ग्रहागमः ) तब ग्रहागमन जानना चाहिये ।
भावार्थ - जब सूर्य या चन्द्रमा के अस्त या उदय काल में दिखे तो तब ग्रहों का आगमन समझो ॥ १७ ॥
कबन्धा
उद्गच्छमाने
परिघा - मेघा दृश्यन्ते
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धूम - रक्तपट
सूर्ये
ध्वजाः ।
राहोस्तदाऽऽगमः ॥ १८ ॥
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( कबन्धा, परिघा मेघा ) जब मेघ कबन्ध, परिघा (धूम रक्त पट ध्वजा ) धूम, रक्तपट, ध्वजा के ( उद्गच्छमाने दृश्यन्ते) आकार जाते हुऐ दिखे तो समझो ( तदा) तब ( सूर्यैराहोस्तदाऽऽगमः ) राहु का आगमन होने वाला है।
भावार्थ — जब मेघ कबन्ध, परिघा के आकार के हो तो और सूर्य धूम के आकार, लाल कपड़े के आकार व ध्वजा के आकार जाते हुए दिखाई पड़े तो समझो राहु का आगमन होनेवाला है ॥ १८ ॥
मार्गवान् महिषाकारः शकटस्थो यदा शशी । उद्गच्छन् दृश्यतेऽष्टम्यां तदा ज्ञेयो ग्रहागमः ॥ १९ ॥
( यदा) जब (शशी) चन्द्रमा ( मार्गवान् महिषाकार :) मार्गस्थ महिषाकार व ( शकटस्थो) घाड़ी के आकार ( उद्गच्छन दृश्यते) जाता हुआ दिखाई पड़े तो और वो भी (अष्टम्यां ) अष्टमी को तो ( तदा) तब ( ग्रहागमः ज्ञेयो ) ग्रह का आगमन होने वाला है ऐसा समझों ।
भावार्थ — जब चन्द्रमा मार्ग में गमन करता हुआ महिषाकार व घाड़ी के आकार दिखे और वो भी अष्टमी को तो समझो ग्रह का आगमन होने वाला है ॥ १९ ॥ सिंह मेषो ष्ट्र संकाश: परिवेषो यदा शशी । अष्टम्यां शुक्लपक्षस्य तदा ज्ञेयो
ग्रहागमः ॥ २० ॥
( यदा) जब चन्द्रमा पर ( सिंह मेषोष्ट्रसंकाशः ) सिंह के व मेष के, ऊँट के आकार ( परिवेषो) परिवेष ( शुक्लपक्षस्यअष्टम्यां ) शुक्लपक्ष की अष्टमी को हो तो ( तदा) तब ( ग्रहागमः ज्ञेयो ) ग्रहों का आगमन जानना चाहिये ।