Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पञ्चदशोऽध्यायः
और (गवोलकाः) गवोलक (विदर्भाश्च) विदर्भ (दशार्णाश्च) दशार्णादि देशों के जन (पीड्यन्ते) पीड़ित होते हैं (नात्र संशयः) इसमें सन्देह नहीं हैं (द्विगुणधान्य मर्पण) धान्य का भाव द्विगुण महँगा होगा, (नोत्तरं वर्षयेत् तदा) तब वर्षा भी उत्तम भाग में नहीं होगी (तादृशेनयत्) इस प्रकार के शुक्र में (क्षतैः शस्त्रं च) शस्त्र घात और (व्याधि च) व्याधियाँ (मूर्छयेत्) मूर्छा उत्पन्न होती हैं।
भावार्थ-उपर्युक्त मण्डल में शुक्र हो तो वत्स, पाञ्चाल, बाहीक, गान्धार, गवोलक, विदर्भ, दशार्णादि देशों के लोग पीड़ित होते हैं इसमें सन्देह नहीं है, द्विगुरा धान्य महँगा होता है चातुर्मास के अन्तिम दो महीने में वर्षा नहीं होती है याने आश्विन और कार्तिक में वर्षा नहीं होती है शस्त्र घात होगा, व्याधियों और मूर्छा रोग होगा॥४२॥
यदा चान्येऽभिगच्छन्ति तत्रस्थं भार्गवं ग्रहाः। हिरण्यौषधयश्चैव शौण्डिका दूतलेखकाः ।। ४३ ।। काश्मीरा बर्बराः पौण्ड्राभृगुकच्छं अनुप्रजाः।
पीड्यन्तेऽवान्तिगाश्चैव नियन्ते च नृपास्तथा॥४४ ।। (यदा) जब (चान्ये) अन्य (ग्रहाः) ग्रह (तत्रस्थभार्गवं) वहाँ के शुक्र को (अभिगच्छन्ति) घात करे तो, (हिरण्यौषधयश्चैव) सोना, औषधी, और (शौण्डिका) शोण्डिक (दूत) दूत, (लेखका:) लेखक (कश्मीरा) कश्मीर (बर्बरा) बर्बरा (पौण्ड्रा) पौण्ड्र (भृगुकच्छं) भृगुकच्छ (अनुप्रजाः) आदि की प्रजा (पीड्यन्ते) पीड़ित होती है (अवन्ति गाश्चैव) और अवन्ति देश के (नृपाः) राजा का (म्रियन्ते) मरण होता
हैं।
भावार्थ-जब अन्य ग्रह से शुक्र पीड़ित होता है तो सोना, औषधी और शोण्डिक, दूत, लेखक, कश्मीर, बर्बर, पौण्ड्र, भृगुकच्छ आदि पीड़ित होते हैं और अवन्ति देश के राजा का मरण होगा।। ४३-४४ ।।
नागबीथीति विज्ञेया भरणी कृत्तिकाऽश्विनी।
रोहिण्यार्दा मृगशिरगजवीथीति निर्दिशेत्॥४५॥ (अश्विनी) अश्विनी नक्षत्र (कृत्तिका) कृत्तिका नक्षत्र, (भरणी) भरणी नक्षत्र