Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
का घात होता है, दक्षिण में हो तो चोरों का घात करता है वामभाग में हो तो चोरों की विजय कराता है ।। ११९ ।।
चित्रास्थः पीडयेत् सर्वं विचित्रं गणितं लिपिम् । कोशलान् मेखलान् शिल्पं द्यूतं कनक वाणिजान् ॥ १२० ॥
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( चित्रास्थ : ) चित्रा नक्षत्र को शुक्र आरोहण करे तो (सर्व) सब प्रकार के (विचित्र ) विचित्र ( गणितं ) गणित ( लिपिम्) लिपि (कोशलान्) कौशल (मेखलान् ) मेखलाको ( शिल्पं ) शिल्प को (धुतं) जुआरीओं को (कनक) सोना के (वाणिजान् ) व्यापारियों को (पीडयेत् ) पीड़ा देता है।
भावार्थ- जब शुक्र चित्रा नक्षत्र को कारोहण करे तो गणित, व्यापारी, कौशल, मेखला, शिल्प, धुत, सोने के व्यापारी इन सबका घात करता है ॥ १२० ॥ आरूढपल्लवान् हन्ति मारीचोदार कोशलान् । मार्जारनकुलांश्चैव कक्षमार्गे 리 पीडयते ।। १२१ ।।
जिस नक्षत्र पर शुक्र ( आरूढ ) आरोहण होने पर ( पल्लवान) पल्लव ( मारीचोदार) सौराष्ट्र और ( कोशलान् ) कौशल देश को ( हन्ति) मारता है (च) और (कक्षमार्गे) कक्ष मार्ग में होने पर ( मार्जारनकुलांश्चैव) मार्जार, नकुलादि को ( पीडयते) पीड़ा देता है ।
भावार्थ - यदि शुक्र चित्रा नक्षत्र पर आरूढ करता है तो पल्लववासी, सौराष्ट्रवासी और कौशल देशवासियों को मारता है अगर कक्ष मार्ग में शुक्र हो तो मार्जार, नेवलादि को पीडादेता है ॥ १२१ ॥
चित्रमूलाश्च त्रिपुरां arrant च। वामगः सृजते व्याधिं दक्षिणो वणिकान् वधेत् ॥ १२२ ॥
(चित्रमूलाश्च ) चित्रा नक्षत्र के अन्तिम चरण में (त्रिपुरां ) शुक्र ( वातन्वत मथापि च ) आरोहण करे और वो भी (वामाग: व्याधिं सृजते ) वाम भाग में हो तो व्याधियों को करता है (दक्षिणो वणिकान् वधेत्) दक्षिण में हो तो वैश्यों को मारता है।