Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पञ्चदशोऽध्यायः
मध्यदेशे तु दुर्भिक्षं जयं विन्धादुदये ततः।
फलं प्राप्यन्ति चारेण भद्रबाहुवचो यथा॥१२८॥
यदि अनुराधा नक्षत्र में शुक्र का (उदये) उदय हो तो (ततः) उसका फल (मध्यदेशे दुर्भिक्ष) मध्यप्रदेश में दुर्भिक्ष होगा और (जयंविन्द्यात्) जय भी होगी, (चोरण फलंप्राप्यन्ति) शुक्र के संचार का यही फल है (यथा) ऐसा (भद्रबाहुवचो) भद्रबाहु स्वामी का वचन है।
भावार्थ-अनुराधा नक्षत्र में शुक्र का उदय होता है तो उसका फल मध्यप्रदेश में दुर्भिक्ष होगा, शुक्र के संचार का फल ऐसा ही है ऐसा भद्रबाहु स्वामी का वचन है॥१२८॥
ज्येष्ठास्थः पीडयेज्ज्येष्ठान इक्ष्वाकून् गन्धमादजान्।
मर्दनारोहणे व्याधि मध्यदेशे ततो वधेत् || १२९॥ (ज्येष्ठास्थ:) ज्येष्ठा नक्षत्रमें शुक्र (मर्दनारोहणे) मर्दन करता हुआ आरोहण करे तो (इक्ष्वाकून् गन्धमादजान्) इक्ष्वाकुवंश वाले व गन्धमादन देश वाले (ज्येष्ठान्) ज्येष्ठ व्यक्तियों को (पीडयेत्) पीडा देता है, (मध्यदेशे) मध्यदेश में (व्याधिं ततो वधेत्) व्याधियाँ और मारण करता है।
भावार्थ-ज्येष्ठा नक्षत्र में शुक्र आरोहण करे तो इक्ष्वाकुवंशी गन्धमादनपर्वत वंशीयों के किसी ज्येष्ठ (बड़े) व्यक्तियों का नाश करता है, पीडा देता है, अगर मर्दन करता हुआ आरोहण करे तो मध्य देश में व्याधियाँ करेगा व जनता को मारेगा॥१२९॥
दक्षिणः क्षेम कृज्ज्ञेयो वामगस्तु भयङ्करः।
प्रशन्नवर्णों विमलः स विज्ञेयो सुखङ्करः ।।१३०॥ यदि शुक्र (दक्षिण: क्षेमकृज्ज्ञेयो) दक्षिण का हो तो क्षेम करेगा, (वामगस्तु भयङ्करः) वाम भाग का हो तो भयंकर होता है (प्रशन्न वर्णोविमल:) विमल और प्रशन्न वर्ण वाला हो तो (स) वह (सुखकर ज्ञेयो) सुखकर जानना चाहिये।
भावार्थ- यदि उपर्युक्त शुक्र दक्षिण का हो तो क्षेम करेगा, वाम भाग