Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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घटना संहिता
में (भक्तं समेषु भागेषु) समान भाग देने पर ( भार्गवः) शुक्र का ( प्रवास कुरुते समम् ) समान प्रवास आ जाता है।
भावार्थ- बियासी, चौरासी, छियासी दिनों में समान भाग देने पर शुक्र का समान प्रवास आ जाता है ।। १८१ ॥
भार्गवः ।
पांशु वातं रजो धूमं विद्युदुल्काश्च कुरुते
च
द्वादशाहं च विशाहं दशपञ्च तिष्ठते त्वेवं समचारेण
नक्षत्रे
( द्वादशाहं च विशाह) बारह दिन, बीस दिन ( दशपञ्च) पन्द्रह दिन ( भार्गवः) शुक्र का एक (नक्षत्रे ) नक्षत्र पर (त्वेवं तिष्ठते) वह निवास करता है ।
भावार्थ — बारह दिन, बीस दिन, पन्द्रह दिन का एक नक्षत्र पर पूर्व दिशा विचरण करने पर वह निवास करता है ॥ १८२ ॥
४७२
पूर्वतः ॥ १८२ ॥
शीतोष्णं वा प्रवर्षणम् । भार्गवोऽस्तमनोदये ॥ ९८३ ॥
( भार्गवोऽस्तमनोदये) यदि शुक्र अस्त होता है तो समझो (पांशु वातं रजो धूमं ) मिट्टी, वायु, धूल, धूम (शीतोष्णं वा प्रवर्षणम्) शीत, उष्ण व प्रवर्षण (विद्युदुल्काश्च कुरुते ) विद्युत, उल्का आदि को करता है।
भावार्थ-यदि शुक्र अस्त होता है तो समझो वायु चलेगी, धूल वर्षा होगी, रज वर्षा होगी, धूम्र उड़ेगा, शीत बाधा होगी, ठण्डी पड़ेगी व वर्षा होगी, बिजली चमकेगी, उल्कापतन होगा, इतने कार्य शुक्र के अस्त होने पर होते हैं ।। १८३ ॥
सितकुसुमनिभस्तु भार्गवः प्रचलति श्रीथीषु सर्वशो यदा वै । घटगृहजलपोत स्थितोऽभूद् बहुजलकृच्च ततः सुखदश्चारु ॥ १८४ ॥
(सितकुसुमनिभस्तु भार्गवः) सफेद फूलों के वर्ण वातादि शुक्र ( यदा वै सर्वश वीथिषुप्रचलति ) जब सब वीथियों में गमन करता है (ततः) वहाँ पर (घटगृहजलपोत स्थितोऽभूद) घर, घट, जलपोत स्थित होने वाला (बहुजलकृच्च) बहुत जल की वर्षा होती है (सुखदश्चारु) वर्ष सुख देने वाला होता है।
भावार्थ — जब सफेद फूल के वर्ण का शुक्र जब सब वीथियों में गमन