Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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अष्टादशोऽध्यायः
में नाना प्रकार के उपद्रव होते हैं। पूर्वाषाढ़ा और पूर्वाभाद्रपद इन तीनों नक्षत्रों में से किसी एक में शुक्र विचरण करे तो संसार को अन्न की कमी होती हैं रोग तस्कर, शस्त्र, अग्नि आदि का भय और आतंक व्याप्त रहता है विज्ञान नये-नये पदार्थों की शोध और खोज करता हैं। जिससे अनेक प्रकार की नई बातों पर प्रकाश पड़ता हैं। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में बुध का उदय होने से अनेक राष्ट्रों में संघर्ष होता हैं तथा वैमनस्य उत्पन्न हो जाने से अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति परिवर्तित हो जाती हैं। उक्त नक्षत्र में बुध का उदय और विचरण करना दोनों ही राजस्थान, मध्य भारत और सौराष्ट्र के लिये हानिकारक है इन प्रदेशों में वृष्टि का अवरोध होता हैं भाद्रपद और अश्विन मास में साधारण वर्षा होती हैं, कार्तिक मासके आरम्भ में गुजरात और बम्बई प्रदेश में वर्षा अच्छी होती हैं, राजस्थान के मन्त्रीमण्डल में परिवर्तन भी उक्त गृह स्थिति के कारण होता हैं।
पराशर के मतानुसार बुध का फलादेश-पराशर ने बुध की सात प्रकार की गतियाँ बतलाई हैं—प्राकत, विमिश्र, संक्षिप्त, तीक्ष्ण, योगान्त, घोर और पाप। स्वाति, भरणी, रोहिणी और कृत्तिका नक्षत्रमें बुध स्थिति हो तो इस गति को प्राकृत कहते हैं बुध की यह गति ४० दिन तक रहती हैं इसमें आरोग्य वृष्टि धान्य की वृद्धि और मंगल होता है प्राकृत गति भारत के पूर्व प्रदेशों के लिये उत्तम होती हैं इस गति में गमन करने पर बुध बुद्धिजीवियों के लिये उत्तम होता हैं कला कौशल की भी वृद्धि होती हैं, देश में नवीन कल-कारखाने स्थापित किये जाते हैं अनाज अच्छा उत्पन्न होता हैं और वर्षा भी अच्छी होती हैं। कलिंग, उड़ीसा, विदेह-मिथिला, काशी, विदर्भ देश के निवासियों को सभी प्रकारके लाभ होते हैं मरुभूमि राजस्थान में सुभिक्ष रहता हैं वर्षा भी अच्छी रहती हैं, फसल उत्तम होने के साथ मवेशी को कष्ट होता हैं मथुरा और सूरसेन देशवासियों का आर्थिक विकास होताहें व्यापारी वर्ग को साधारण लाभ होता हैं। सोना चाँदी के सट्टे में हानि उठानी पड़ती हैं, . जूट का भाव बहुत ऊँचा चढ़ जाता हैं। जिससे व्यापारियों को हानि होती हैं।
मृगशिरा, आर्द्रा, मघा और आश्लेषा नक्षत्र में बुध के विचरण करने को मिश्रा गति कहते हैं यह गति ३० दिनों तक रहती हैं इस गति का फल मध्यम हैं देश के सभी राज्यों और प्रदेशों में सामान्य वर्षा उत्तम फसल रस पदार्थों की