Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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चीनी, मधुर पदार्थ की उत्पत्ति अच्छी होती है, कोयला, लोहा, अभ्रक, ताँबा, शीशा, भूमि से अधिक निकलता है, देश में आर्थिक विकास बढ़ता है गति आरम्भ से लेकर समाप्ति तक सुभिक्ष रहता है, देश में अन्न और वस्त्रों की कमी नहीं रहती है, नदियों के तटवर्ती प्रदेश के लोग शान्ति का अनुभव करते हैं।
आगे और भी डॉ. नेमीचन्द जी का भी अभिप्राय देख लेवे।
विवेचन-बुध का उदय होने से अन्न का भाव महँगा होता हैं, जब बुध उदित होता हैं उस समय अतिवृष्टि अग्निप्रकोप एवं तूफान आदि आते हैं, श्रवण, धनिष्ठा, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को मर्दित करके बुध के विचरण करने से रोगभय अनावृष्टि होती हैं, आर्द्रा से लेकर मघा तक जिस किसी नक्षत्र में बुध रहता हैं, उसमें ही शस्त्रपात, भूख, भय, रोग, अनावृष्टि और सन्ताप से जनता को पीड़ित करता हैं, हस्त से लेकर ज्येष्ठा तक छ: नक्षत्रों में बुध विचरण करे तो मवेशी को कष्ट सुभिक्ष पूर्ण वर्षा तेल और तिलहन का भाव महँगा होता हैं, बंगाल, आसाम, बिहार, बम्बई, सौराष्ट्र, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, मध्यभारत में सुभिक्ष, काश्मीरमें अन्नकष्ट राजस्थान में दुष्काल वर्षा का अभाव एवं राजनैतिक उथल-पुथल समस्त देश में होती हैं। जापान में चावल की कमी हो जाती हैं रूस और अमेरिका में खाद्यान्न की प्रचुरता रहने पर भी अनेक प्रकार के कष्ट होते हैं उत्तराफाल्गुनी कृत्तिका उत्तराभाद्रपद और भरणी नक्षत्र में बुध का उदय हो या बुध विचरण कर रहा हो तो प्राणियों को अनेक प्रकार की सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के साथ धान्य भाव सस्ता उचित परिमाण में वर्षा सुभिक्ष व्यापारियों को लाभ चोरों का अधिक उपद्रव एवं विदेशों के साथ सहानुभूति-पूर्ण, सम्पर्क स्थापित होता हैं पंजाब, दिल्ली
और राजस्थान राज्यों की सरकारों में परिवर्तन भी उक्त बुध की स्थिति में होता हैं घी, गुड़, सुवर्ण, चाँदी तथा अन्य खनिज पदार्थों का मूल्य बढ़ जाता हैं उत्तराभाद्रपद नक्षत्रमें बुध का विचरण करना देश के सभी वर्गों और हिस्सों के लिये सुभिक्ष प्रद होता हैं द्विजों को अनेक प्रकार के लाभ और सम्मान प्राप्त होते हैं निम्न श्रेणी के व्यक्तियों को भी अधिकार मिलते हैं तथा सभी जनता सुख-शान्ति के साथ निवास करती हैं यदि बुध अश्विनी शतभिषा मूल और रेवती नक्षत्र का भेदन करे तो जल-जन्तु जल से आजीविका करने वाले वैद्य-डॉक्टर एवं जल से उत्पन्न पदार्थों